बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय/विवेकानंद) सरकार चाहे लाख योजनाओं का पिटारा खोलती रही परन्तु परिषदीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र भूखे रहने को हो रहे विवस। ग्राम प्रधान की दबंगई व शिक्षा विभाग के लापरवाही के चलते नही बन रहा खाना।भूखे पेट पढ़ रहे हैं बच्चे।
यह मामला है विकास खण्ड बभनी के उच्च प्राथमिक विद्यालय करकच्छी का जहां विगत दो वर्षों से ग्राम प्रधान के द्वारा एम.डी.एम.का संचालन कराया जा रहा था, जब विद्यालय के प्रधानाचार्य शिव सागर मिश्र के द्वारा जब एम.डी.एम.माह अगस्त से बनवाया जा रहा था।तब प्रधान के पास चेक पर हस्ताक्षर करने से मना करने लगे।जब धनराशि के लिए चेक पर दस्तखत करने की बात आती है तो दस्तखत करने से साफ मना कर दिया जाता है। जिसके लिए प्रधानाध्यापक शिव सागर मिश्र के द्वारा कई बार कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते परेशान होकर इसका लिखित व मौखिक सूचना खण्ड शिक्षा अधिकारी को दिया गया।लेकिन खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नही किया गया।वह एबीआरसी जगरनाथ पर टाल कर बहाना बना देते।
खण्ड शिक्षा अधिकारी संजय कुमार द्वारा कहा गया कि करमघट्टी विद्यालय व उच्च.प्रा.वि.करकच्छी के एम.डी.एम.से संबंधित मामला खण्ड विकास अधिकारी को दे दिया गया है। जो खण्ड विकास अधिकारी के द्वारा ए.डी.ओ. पंचायत को रिमार्क कर दिया गया। जब ए.डी.ओ.पंचायत से बात किया गया तो उनके द्वारा कहा गया कि यह शिक्षा विभाग का मामला है ।जब खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उपस्थित ए.बी.आर.सी.जगरनाथ से बात किया गया तो उनका कहना था कि यह विवाद ग्राम प्रधान व प्रधानाध्यापक के बीच काफी दिनों से विवाद चल रहा है। जिसकी सूचना भी कई बार कार्यालय में दी जा चुकी है। मामले को देखते हुए जल्दी ही समस्या का समाधान किया जाएगा। जहां इस जंजाल का शिकार मासूमों को होना पड़ रहा है।
वहीं छात्रों व ग्रामीणों के द्वारा यह भी.बताया गया कि प्राथमिक विद्यालय करकच्छी के प्रभारी प्रधानाध्यापक गिरीश कुमार हमेशा अनियमित रुप से विद्यालय आते हैं । कई बार मौके पर विद्यालय में गायब ही पाए जाते हैं।ग्रामीणों द्वारा आरोप लगाया गया कि अधिकारी से सेटिंग कर वह गायब रहते है। जब कार्यालय से संपर्क किया गया तो बताया गया कि बीआरसी पर एन.पी.एस का फार्म भरने के लिए आए हुए हैं परन्तु वे दो दिनों से एन.पी.एस.का फार्म ही भरा जा रहा है। अध्यापकों के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार विद्यालय में न कोई प्रार्थना पत्र था। और न ही रजिस्टर में छुट्टी चढ़ाई गई थी।जब इस संबंध में खण्ड शिक्षा अधिकारी संजय कुमार से फोन किया गया तो उनके द्वारा फोन रिसीव न हो पाने के कारण उनका पक्ष नहीं रखा जा सका।