सीजीएम सेन ने पत्रकार वार्ता के दौरान दी जानकारी
शक्तिनगर। एनटीपीसी लिमिटेड सिंगरौली शीघ्र ही आठ सौ मेगावाट की दो यूनिटें लगाएगी। इसके लिए एनआईटी प्रकाशित कर दी गई है। इस बात की जानकारी परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक देबाशीष सेन ने पत्रकार वार्ता के दौरान दी।
इस अवसर पर श्री सेन ने कहा कि सिंगरौली सुपर थर्मल पावर स्टेशन ओल्ड इज गोल्ड की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। सिंगरौली द्वारा अब तक तक 84 प्रतिशत पीएलएफ पर 13621.83 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया है। इस दौरान लोडिग फैक्टर 91.82 प्रतिशत तथा उपलब्धता 91.17 प्रतिशत रही । नवंबर 2018 में सिंगरौली पूरे एनटीपीसी में प्रथम स्थान पर रहा जिसके लिए सीएमडी गुरदीप सिंह से बधाई पत्र मिला तथा ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने टविटर के माध्यम से अपना साधुवाद दिया था । वर्तमान में पीएलएफ के आधार पर सिंगरौली पूरे एनटीपीसी में 4थे स्थान पर और अखिल भारतीय स्तर पर 15वें स्थान पर है । विदयुत उत्पादन के लिए सस्ती बिजली, राख उपयोग, पर्यावरण, सुरक्षा, सामाजिक दायित्व हमारे चार मूलभूत आधार है। ईएसपी आर एंड एम का कार्य प्रगति पर जिसे मार्च 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा । 800 मेगावाट की दो नई यूनिटों का निविदा जारी हो चुका है। ये यूनिट उच्च दक्षता वाली होगी जिसमें बिजली उत्पादन के लिए कम कोयला की खपत होगी नई यूनिटे के अाने से आसपास के क्षेत्र में विकास एवं रोजगार की नई संभावनाएं पैदा होगी । इन सब उपलब्धियों को हासिल करने में समाज के सभी वर्गों खासतौर पर मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा । मीडिया द्वारा समय-समय पर जो सुझाव तथा मार्गदर्शन मिलते रहे हैं । इससे हमने सिंगरौली प्लांट की प्रगति बढ़ाने में अहम योगदान रहा ।
इसके पूर्व अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन अनिल कुमार जाडली ने कार्यक्रम की रूपरे
खा रखते हुए सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और कंपनी तथा स्टेशन की प्रगति के बारें में जानकारी दी । संचालन पीआरओ आदेश कुमार पांडेय किया।
इनसेट —
पहली सुपर क्रिटिकल यूनिट होगी सिंगरौली में
अनपरा सोनभद्र। अब तक ऊर्जान्चल में अधिकतम 660 मेवा तक की ही बिजली परियोजनाएं लगी है, लेकिन एनटीपीसी सिंगरौली पहली बार 800 मेगावाट की दो इकाइयां लगा रहा है। इस सम्बंध में जानकारी देते हुए महाप्रबंधक देवाशीष सेन ने बताया कि ये यूनिटें सुपर क्रिटिकल श्रेणी की होगी, जिसमें 4 फीसद कोयला कम खपत होगी। इसकी निविदाएं प्रकाशित कर दी गई है, चार साल के भीतर इसे उत्पादन पर ले लिया जाएगा। बताया कि स्थानीय नौ युवको को इसके निर्माण में वरीयता के आधार पर रोजगार दिया जाएगा। इसके ऐश निस्तारण के लिए रीवा और बनारस में ऐश पार्क बनाया जाएगा, जहाँ से ईंट के लिए निशुल्क राख उपलब्ध कराया जाएगा। कहा कि अभी 35 फीसद राख का निस्तारण हो रहा है, लेकिन शीघ्र ही सौ फीसद राख निस्तारित कर दिया जाएगा, इसके लिए लगातार रणनीति बनाई जा रही है।