साइंस डेस्क. मकड़ी के जाले का इस्तेमाल कृत्रिम मांसपेशियां बनाने में किया जा सकता है। यह दावा मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने किया है। रिसर्च के मुताबिक, मकड़ी के जाले को जब नमी के निश्चित स्तर पर रखा जाता है तो यह सिकुड़ता है और इसमें खास तरह का बदलाव देखा जाता है। वैज्ञानिकों ने इसकी इसी खूबी को कृत्रिम मांसपेशी बनाने में मददगार बताया है। इससे पहले हुए अलग-अलग शोध में जाले को काफी हल्का और अधिक खिंचाव वाला फायबर बताया गया है। कुछ शोध में दावा किया गया है कि यह स्टील से भी ज्यादा मजबूत है।
-
वैज्ञानिकों ने जाले में एक नई खासियत को ढूंढ़ा है, इसे सुपरकॉन्ट्रैक्श्न नाम दिया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, नमी में जैसे ही बदलाव होता है जाले का फायबर भी संकुचित होकर सिकुड़ता है। खासतौर पर सुबह के समय थोड़ा ज्यादा सख्त होता है। इसी खूबी के कारण इसमें से वाइब्रेशंस को आसानी गुजारा जा सकता है।
-
साइंस एडवांसेस जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, नमीं मिलने पर इसके धागे आपस में गुंथ जाते हैं और एक दबाव पैदा करते हैं। इसकी पुष्टि करने के लिए एक प्रयोग किया गया।
-
शोधकर्ता लियू के मुताबिक, जाले का एक फायबर लेकर उसे एक घडी के पैंडुलम की तैयार कर ह्यूमिडिटी चैंबर में लटकाया गया। जब इस चैंबर में नमीं को बढ़ाया गया तो पेंडुलम ने घूमना शुरू कर दिया। यह आश्चर्यजनक था। इसके बाद शाेधकर्ताओं ने यही प्रयोग बालों पर भी किया लेकिन इसमें वो बदलाव नहीं दिखा।
-
एमआइटी के प्रोफेसर मार्कस बुहलर के अनुसार, मकड़ी के जाले का यह गुण रोबोटिक्स कम्युनिटी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। कुछ खास प्रकार के सेंसर और कंट्रोल डिवाइसों को इसकी मदद से नियंत्रित किया जा सकेगा।