@भीमकुमार
दुद्धी। सोनभद्र जिले से 70 किमी दूर दुद्धी कस्बे के बनवासी सेवा आश्रम के छात्रावास परिसर में इस आधुनिक समय मे चरखा चलाकर 20 महिला अपने खाली समय मे चरखा से धागा निकालने का काम करने से अच्छी कमाई कर ले रहे है। जिससे उनके घर परिवार में जरूरत की समान उपलब्ध कराने में सहयोग भी दे रही है। चरखा चलाने वाली महिला सुनीता मिश्रा दुद्धी ने बताया कि हमने यह छः माह पहले से चरखा चला रहे है और अपने घर मे खाली समय रहा करता था इसलिए चरखा चला कर कमाई भी कर लेते है और समय भी बित जाता है। बन्दना मिश्रा ने बताया कि एक दिन में 3-4 सौ ग्राम तक धागा निकालते है जो उसकी मजदूरी भी समय पर मिल जाता है और नई मॉडल की चरखा में 8 टकुआ होता है जिससे जल्दी से धागा बिना जाता है। और चरखा चलाने में अच्छा भी लगता है। वहीँ अभी दस दिनों से सिख रही प्रभावती निवासी जाबर ने बताया कि अभी सीखने का मौका मिला है अच्छा लग रहा है जैसे जैसे जानकारी होगी वैसे हम अच्छा ढंग से चरखा चला कर काम करना चाहते है।
चरखा का कार्य देख रहे हरिप्रसाद निवासी बभनी ने बताया कि हम 40 वर्षो से बनवासी सेवा आश्रम में काम करते हो गया दुद्धी में 20 चरखा लगाया गया है। जिसमे 20 महिला अपनी समय से आकर चरखा चलाकर धागा बुनने का काम करती है। एक महिला एक दिन में करीब 500ग्राम निकालती है। जिसकी मजदूरी लगभग 100 रुपये होती है। और कार्य कर रही महिलाओं को ऊत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनवासी सेवा आश्रम की संस्था 12% कल्याण कोष के रूप में देती है और 10% कपड़े पर छूट देती है।इस धागा से संस्था में ही पैंट, शर्ट, साड़ी, गमछा,लुंगी सहित सिल्क की कपड़े बनते है। जिसका क्रय का सेंटर बीजपुर,बभनी,खैराही,रेनुकूट,गोबिंदपुर सोनभद्र के अलावा कई प्रान्तों में भी आदान प्रदान होता है।