साइंस डेस्क. विलुप्त मानी जानी वाली दुनिया में सबसे बड़े आकार वाली मादा मधुमक्खी को 38 साल बाद ढूंढ लिया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इंडोनेशिया के आईलैंड पर अंगूठे के आकार की मधुमक्खी पाई गई है। इसे 1981 से ही विलुप्त मान लिया गया था। जिसे वैज्ञानिक भाषा में वॉलेंस जाइंट बी और आम भाषा में फ्लाइंग बुलडॉग कहा जाता है।
मादा मधुमक्खी की लंबाई डेढ़ इंच तक होती है और पंख ढाई इंच लंबे होते हैं। वहीं नर मधुमक्खी की लंबाई महज 23 मिमी. तक होती है। खास बात है कि केवल मादा मधुमक्खी के पास बड़ा जबड़ा होता है जिसका काम रेजिन इकट्ठा करने और छत्ता बनाने में किया जाता है।
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सबसे बड़े आकार वाली वॉलेंस जाइंट मधुमक्खी की खोज जाने माने ब्रिटिश प्रकृतिविद् अल्फ्रेड रसल वॉलेंस ने 1859 में की थी। इनके नाम पर ही मधुमक्खी का नाम वॉलेंस जाइंट रखा गया था। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर क्ले बोल्ट ने हाल ही में पहली बार इसे कैमरे में कैद किया। क्ले बोल्ट के मुताबिक, ये बहुत ही खूबसूरत है और उड़ने के दौरान पंखों से पैदा होने वाली आवाज बेहद अलग है।
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पिछले महीने बोल्ट अपने दोस्तों के साथ इंडोनेशिया दीमक की एक प्रजाति को ढ़ंढने गए थे। तभी उनकी नजर एक पेड़ पर मौजूद दीमक के घोसले पर पड़ी। मोबाइल की रोशनी में करीब से देखा तो चमकती हुई मधुमक्खी दिखाई दी। दशकों बाद इसे पहली बार देखा गया। बोल्ट ने इसे घास की मदद से बाहर निकला और कैमरे में कैद किया।
NOPE… NOPE… NOPE…
WORLD’S LARGEST BEE: Take a look at Wallace’s Giant Bee. It’s the biggest bee in the world and hasn’t been seen in over 30 years … until now. pic.twitter.com/327I8lDvXA
— Tim Williams (@realtimwilliams) February 21, 2019
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वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट के मुताबिक, मधुमक्खी जमीन से दो मीटर की ऊंचाई पर एक पेड़ में बने दीमक के घोसले में रह रही थी। यह यूरोपियन मधुमक्खी से 4 गुना ज्यादा बड़ी है। इसे तनहा रहना पसंद है और यह मधुमक्खियों की आम कॉलोनी में नहीं पाई जाती है। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट भी इसके जीवन चक्र से जुड़ी जानकारी से अब तक अंजान हैं।
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बोल्ट ने इसे जंगल में ही छोड़ दिया और लोकेशन की सटीक जानकारी को किसी से साझा नहीं किया ताकि कोई शिकारी इसे पकड़ न सके। 1981 में इसे आखिरी बार देखा गया था जब अमेरिकी कीटविज्ञानी एडम मेसर ने दोबारा इंडोनेशिया में इसकी खोज की थी। उस दौरान इसके छह घोसले देखे गए थे। अमेरिकी कीटविज्ञानी एडम मेसर ने पाया था कि यह अपने मजबूत जबड़ों का इस्तेमाल करके रेजिन और लकड़ी इकट्ठा करती है और ऐसा घोसला बनाती है जिसे दीमक भी नहीं खा पाता।