सना (यमन). यह कहानी यमन फुटबॉल टीम की स्पोर्ट्स स्पिरिट, उसके संघर्ष से निकली सकारात्मकता और सफलता को बताती है। यमन में पिछले चार साल से गृहयुद्ध चल रहा है। इसके बावजूद टीम ने एएफसी एशियन कप के लिए क्वालिफाई किया। वह भी तब, जब उसके कुछ खिलाड़ियों की हत्या कर दी गई। कुछ किडनैप किए गए। उनके पास खेलने के लिए स्टेडियम तक नहीं था। टीम को 2018 में तीन इंटरनेशनल मैच खेलने का मौका मिला।
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खिलाड़ियों के पास कमाई का कोई जरिया नहीं है, इसलिए उन्हें टैक्सी और बस चलानी पड़ती है। कुछ खिलाड़ी किराने की दुकान में काम करते हैं। यमन की टीम पहली बार एएफसी कप में खेली। यह मौजूदा माहाैल में इस देश के लिए सबसे सकारात्मक बात है, क्योंकि पिछले चार साल से यमन की घरेलू लीग नहीं खेली गई है।
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टीम ने अरब देशों के बीच 1970 से खेले जाने वाले गल्फ कप में अब तक कोई मैच नहीं जीता है। क्लब आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे हैं। कई क्लब के पास स्टाफ और खिलाड़ियों को देने के लिए पैसे नहीं है।
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यमन एएफसी एशियन कप में खेलने वाली सबसे निचली रैंक (135) वाली टीम है। टीम टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी है। लेकिन, वहां की मीडिया इसे ‘सम्मानजनक हार’ कह रही है, क्योंकि ऐसे माहौल में यमन का एशिया के सबसे बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट में खेलना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
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टीम के कई खिलाड़ियों को अपने फुटबॉल के सपने को पूरा करने और परिवार पालने के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़ते हैं। यमन टीम के गोलकीपर मोहम्मद आयश और शुकरी अल दहिया तेल कंपनी में काम करते हैं। सुलेमान हजम सड़कों पर आलू बेचते हैं। कुछ खिलाड़ी टैक्सी, बस और मोटर साइकल ड्राइवर हैं। कुछ अपने परिवार पर निर्भर हैं।
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- कुछ खिलाड़ी बस और टैक्सी चलाते हैं, तो कुछ किराने की दुकान में भी काम करते हैं
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युद्ध के दौरान कुछ खिलाड़ी सरकार के पक्ष में हो गए। सरकार विरोधी हाैती विद्रोहियों ने अली घराबा, अब्दुल्ला एरेफ और अब्दुल्ला अल बेजाज की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी। एक खिलाड़ी क्वालिफिकेशन मुकाबला खेलकर घर लौट रहा था, तब उसे किडनैप कर लिया गया। उसे 48 घंटे बाद छोड़ा गया। इसलिए जब खिलाड़ी एक साथ ट्रेनिंग के लिए जाते हैं तो सुरक्षा के लिए उन्हें ट्रांसपोर्ट ट्रक में ले जाया जाता है। ताकि उन्हें कोई पहचान न सके।
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हाैती विद्रोहियों ने देश के कई स्टेडियमों को भी तोड़ दिया। उन पर कब्जा कर लिया था और उन्हें अपना बेस बना लिया था। देश के 70 फीसदी स्टेडियम टूट चुके हैं। इसके बाद यमन टीम ने कुछ महीने कतर में भी प्रैक्टिस की थी।