नई दिल्ली. पेट्रोल और डीजल के दाम आने वाले दिनों में बढ़ सकते हैं। तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक द्वारा उत्पादन घटाने के बाद कच्चे तेल की कीमत तेजी से बढ़ रही है। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड के दाम 65 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए। यह तीन महीने में सबसे ज्यादा है।
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इससे पहले 15 नवंबर 2018 के आसपास क्रूड का रेट 65 डॉलर के स्तर पर था। 1 जनवरी से अब तक यह 21% महंगा हो चुका है। भारतीय बास्केट के क्रूड के दाम में इस दौरान करीब 12% बढ़ोतरी हुई है।
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एंजेल ब्रोकिंग हाउस के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (एनर्जी एंड करंसी) अनुज गुप्ता का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव दूर करने के लिए बातचीत आगे बढ़ रही है। इसके साथ ओपेक द्वारा तेल की आपूर्ति में कटौती किए जाने से कीमतों में तेजी आई है।
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वेनेजुएला और ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से भी दाम बढ़ रहे हैं। इस बीच, ओपेक के प्रमुख सदस्य सऊदी अरब ने कहा है कि वह अगले महीने तेल की आपूर्ति में और कटौती कर सकता है। ओपेक और रूस के बीच दिसंबर में रोजाना 1.2 लाख बैरल तेल की आपूर्ति कम करने पर सहमति बनी थी।
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हफ्ते भर में दिल्ली में पेट्रोल 18 पैसे और डीजल 17 पैसे महंगा हुआ है। कंपनियां एक पखवाड़े पहले के भारतीय बास्केट क्रूड के आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम तय करती हैं।
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पिछले पखवाड़े भारतीय बास्केट क्रूड का दाम 58.71 डॉलर प्रति बैरल था। अब 65 डॉलर के आसपास चल रहा है। इस आधार पर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आगे पेट्रोल-डीजल के दाम और बढ़ सकते हैं। इससे आगे चल कर खुदरा और थोक महंगाई दरों पर असर भी पड़ सकता है। हालिया रिपोर्ट में ये दरें घटी थीं।
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महंगे क्रूड के कारण मौजूदा वित्त वर्ष में तेल आयात का खर्च 5 साल के रिकॉर्ड पर पहुंच सकता है। अप्रैल से दिसंबर 2018 तक 6.07 लाख करोड़ रुपए का क्रूड आयात हुआ। औसतन 60,000 करोड़ रुपए के हिसाब से तीन महीने में यह 1.8 लाख करोड़ रु. और बढ़ेगा। इस तरह पूरे साल का खर्च 7.87 लाख करोड़ तक जा सकता है। तेल आयात पर 2013-14 में रिकॉर्ड 8.64 लाख करोड़ रु. खर्च हुए थे।
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जनवरी में भारत ने ईरान से रोजाना सिर्फ 2.7 लाख बैरल तेल का आयात किया। यह एक साल पहले की तुलना में 45% कम है। दिसंबर के मुकाबले भी इसमें 10% गिरावट आई है। नवंबर से ईरान के तेल निर्यात पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन उसने भारत समेत 8 देशों को 6 महीने के लिए छूट दे रखी है।
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एक साल पहले भारत के लिए ईरान तीसरा बड़ा तेल सप्लायर था, लेकिन अब सातवें नंबर पर पहुंच गया है। भारत के तेल आयात में उसका हिस्सा 10% से घटकर 6% रह गया है।
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साल तेल आयात पर खर्च 2014-15 6.87 2015-16 4.16 2016-17 4.70 2017-18 5.66 2018-19 7.87* (*अनुमानित, लाख करोड़ रु. में)