नेशनल डेस्क, श्रीनगर.पुलवामा (लेथपोरा) में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले का मास्टरमाइंड जैश-ए-मोहम्मद का पाकिस्तान में रहने वाला आतंकी अब्दुल रशीद गाजी माना जा रहा है। अफगान लड़ाई में शामिल रहा गाजी आईईडी एक्सपर्ट माना जाता है। सुरक्षा एजेंसियों ने गाजी की तलाश में टीमें लगा दी हैं।रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षा बलों के सूत्रों ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर ने अपने भतीजे उस्मान और भांजे तल्हा रशीद की मौत का बदला लेने के लिए गाजी को खुद चुना था। तल्हा को नवंबर 2017 में पुलवामा और उस्मान को अक्टूबर 2018 में त्राल में सुरक्षा बलों ने मार गिराया था।
– चश्मदीद जावेद के मुताबिक लेथपोरा में घटनास्थल से 100 मीटर दूर ही मेरी ड्रायफूट और केसर की दुकान है। मैं गुरुवार दोपहर बाद 3.15 बजे दुकान में दाखिल हुआ ही था कि धमाका सुनाई दिया। मेरी दुकान की खिड़कियों के कांच टूट गए। दीवार दरक गई। मैं घटनास्थल की ओर भागा। वहां पहुंचते ही देखा कि सीआरपीएफ की एक बस के चीथड़े उड़े हुए हैं। कुछ और बसें भी धमाके की चपेट में आई थीं। सड़क पर जवानों के अंग बिखरे हुए हैं। जहां धमाका हुआ तीन फीट गड्ढा बन गया। 8 किमी. दूर तक कंपन महसूस हुआ।
पीओके में ट्रेनिंग देता है गाजी, दिसंबर में कश्मीर में दाखिल हुआ :गाजी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में ट्रेनिंग देता है। बताया जा रहा है कि गाजी दिसंबर 2018 में अपने दो साथियों के साथ कश्मीर में दाखिल हुआ। वह पुलवामा के इलाके में छिपा हुआ था। एक सूत्र ने बताया कि गाजी एक एक्सपर्ट ट्रेनर है और उसे स्थानीय आतंकियों को ट्रेन करने का जिम्मा सौंपा गया था।
पुलवामा हमले में 100 किग्रा विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया :लेथपोरा में गुरुवार को हुआ हमला गाड़ी में 100 किलोग्राम आईईडी रखकर किया गया। इस धमाके की गूंज आसपास के 12 किलोमीटर के इलाके में सुनी गई। पुलवामा से सटे श्रीनगर के कुछ इलाकों में भी धमाके की आवाज स्थानीय नागरिकों ने सुनी। यह इलाका हमले की जगह से करीब 20 किलोमीटर दूर है। इस हमले में 39 जवान शहीद हो गए।
शरीर के टुकड़ों से पहचाना गया आदिल अहमद :अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर मिले शरीर के टुकड़ों से जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन आतंकी आदिल अहमद उर्फ वकास कमांडो की पहचान की गई। आदिल ने अपनी गाड़ी में 200 किलोग्राम विस्फोटक भर रखा था। सीआरपीएफ का काफिला गुजरते ही, उसने अपनी गाड़ी जवानों से भरी बस से टकरा दी। अधिकारियों का कहना है कि कुछ जवानों के शरीर धमाकों की वजह से उड़ गए। ऐसे में शहीदों की पहचान में कुछ वक्त लग सकता है।
दुकानें बंद करके चले गए लोग :अधिकारियों ने बताया कि हमले की जगह पर ऐसा कोई निशान नहीं मिल पाया है, जिससे इस बात का पता चल सके कि आतंकी ने किस तरह की गाड़ी में विस्फोटक भरा था। जैसे ही विस्फोट हुआ, लोगों ने सुरक्षा के लिए भागना शुरू कर दिया। घटनास्थल से 300 मीटर की दूरी पर स्थित एक दुकानदार अपनी दुकानें बंद करके चले गए।
लेथपोरा इलाके में 3 साल में तीन बड़े हमले हुए :जिस जगह आज जैश ने हमला किया है, उसी लेथपोरा को कमांडो ट्रेनिंग सेंटर में 31 दिसंबर 2017 को जैश के आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 5 जवान शहीद हुए थे। जून 2016 में भी जम्मू-श्रीनगर हाईवे में लाथेपोरा से 7 किलोमीटर दूर पम्पोर में सीआरपीएफ की टुकड़ी पर हमला किया गया था। इसमें 8 जवान शहीद हुए थे। इसी साल फरवरी में भी सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया गया था। हमले के बाद आतंकी सरकारी इमारत में घुस गए थे। दो दिन चले एनकाउंटर में तीन आतंकियों को मार गिराया गया था। लेकिन, ऑपरेशन में 3 जवान शहीद हुए थे और 9 नागरिकों की जान गई थी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
[ad_2]Source link