नई दिल्ली.करोलबाग के होटल अर्पित पैलेस में मंगलवार तड़के लगी आग को बुझाने में करीब 5 घंटे लगे। सुबह जब लोग गहरी नींद में थे, तभी हादसा हुआ। इसमें 3 विदेशियों समेत 17 की मौत हो गई। दम घुटने से ज्यादातर मौतें हुईं। होटल के पांच मंजिली इमारत में कुल 46 कमरे हैं। इनमें से 37 कमरों में 53 लोग ठहरे हुए थे।
हादसे में ज्यादातर लोगों की मौत धुएं के कारण दम घुटने से हुई। होटल में म्यांमार के 7 बौद्धयात्री होटल में ठहरे थे। उनकी महिला गाइड ने दूसरी मंजिल से कूदकर जान बचाई। उनमें से एक घायल है। बिहार के गया से किराए पर लिया गया एक कैमरामैन भी मारा गया। मृतकों में एक बच्चा शामिल है। जान बचाने के लिए होटल कर्मचारी ताराचंद और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में कार्यरत असिस्टेंट कमिश्नर, सुरेश कुमार ने होटल की चौथी मंजिल से ही छलांग लगा दी। दोनों की मौत हो गई। पीड़ितों ने बताया कि कैसे उन्होंने मुश्किल से अपनी जान बचाई…
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कानपुर के रहने वाले पदम गुप्ता बताते हैं, “मैं होटल में बेटे के साथ रूम नंबर 206 में ठहरा था। सोमवार को मैं और मेरा बेटा विभू गुप्ता (27) बिजनेस के सिलसिले में कानपुर से दिल्ली आए थे। होटल की गैलरी में चारों तरफ धुंआ भर चुका था। कुछ साफ नजर भी नहीं आ रहा था। सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी थी। बाहर धुएं का गुबार बन चुका था। ऐसे में हमने खुद को रूम के अंदर बंद कर लियाा और खिड़कियां खोल दीं। वहां से मुंह बाहर निकाल लिया। बाहर से आ रही ताजा हवा के कारण हमें ऑक्सीजन मिलती रही। नीचे पुलिस और दमकल विभाग के पहुंचने पर हमने नीचे खड़े लोगों से हेल्प की गुहार लगाई। इसके बाद स्काई लिफ्ट के जरिए दमकल कर्मियों ने पहले ऊपर के फ्लोर पर फंसे लोगों को बाहर निकाला।उसके बाद हमें भी नीचे उतार लिया गया। हम जिस हालात में (बनियान में) थे उसी में नीचे आ गए।”
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बांग्लादेश सेदिल्ली घुमने आए महथरबताते हैं, “मैं अपने रिश्तेदार नाहिया (27) के साथ बांग्लादेश से घूमने के इरादे से दिल्ली आया था। हमें मंगलवार सुबह घूमने के लिए इंडिया गेट और लालकिला जाना था। तड़के हम सो रहे थे। तभी साढ़े तीन बजे के करीब किसी ने बहुत तेजी से दरवाजा खटखटाया। एकदम से आंख खुली तो जोर से आवाज सुनाई दी कि यहां से भागो। हम एकदम से बेड से उठ गए। दरवाजा खोला तो बाहर गैलरी में धुंआ भरा हुआ था। बिना कोई देरी किए हमने अपने बैग उठाए और वहां से सीधे नीचे उतर आए। तब हमारे फ्लोर पर इतना धुंआ नहीं भरा था। हम दोनों दिल्ली आने से पहले 7 फरवरी को बांग्लादेश से कोलकाता पहुंचे थे। मैं (नाहिया) तो पहली बार दिल्ली आया था और दिल दहल गया।”
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अहमदाबाद से दिल्ली आए दिलीप बताते हैं, “मैं अहमदाबाद में एक कंपनी में मैनेजर हूं। सोमवार सुबह दिल्ली में मेरी पंजाबी बाग स्थित ऑफिस में मीटिंग थी। मैं पहली मंजिल पर रूम नंबर 101 में ठहरा था। तड़के अचानक से कुछ आवाज सुनाई देने पर मेरी आंख खुल गई। मैंने ध्यान नहीं दिया और फिर सो गया। करीब 10 मिनट बाद जब दोबारा शोर मचा उठा तो मैं उठ गया। मैंने गेट खोलकर देखा तो बाहर धुंआ था। मैं समझ गया कि आग लगी है। मैं फौरन नेकर-बनियान में ही पहली मंजिल से दौड़कर नीचे आ गया। दूसरी और ऊपरी मंजिल पर खिड़की से नीचे झांक रहे लोग मदद की गुहार लगा रहे थे। मैं अपने मोबाइल रूम में ही छोड़ आया था। मंगलवार दोपहर जब पुलिस की मौजूदगी में सामान लेने अपने रूम में गया तो दोनों फोन गायब थे। खैर जिंदगी बच गई, इसके लिए भगवान को शुक्रिया।”
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राम मनोहर लोहिया और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी को सुबह 5 बजे ही अलर्ट कर दिया था। इसके लिए अस्पताल के डॉक्टरों के फोन सुबह 5 बजे ही घनघनाने शुरू हो गए थे। आरएमएल में सुबह 6:50 बजे पहला घायल लाया गया। इसके बाद एक-एक करके 13 मरीज लाए गए। मगर इनमें से एक भी नहीं बच पाया। आरएमएल अस्पताल की सर्जरी विभाग के डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि जो भी एंबुलेंस घायल लेकर पहुंच रही थी, उसे तुरंत अटेंड किया गया। मगर जो भी आया उसकी न तो नब्ज मिली, न धड़कन।
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कोच्चि से गाजियाबाद एक शादी में शामिल होने आया एक परिवार दिल्ली से कड़वी यादें लेकर वापस जाएगा। कुल 13 रिश्तेदार होटल में आए थे लेकिन वापस जाएंगे सिर्फ 10 लोग। एक ही परिवार के 3 लोग भाई-बहन और उनकी बुजुर्ग मां इस होटल में लगी आग की वजह से मौत के मुंह में समा गए। 63 साल के सुरेन्द्र कुमार ए मेनन समेत 13 लोग 7 फरवरी को दिल्ली आए और होटल में ठहरे थे। इनके एक रिश्तेदार की शादी गाजियाबाद में 9 फरवरी को हुई थी। शादी में शामिल होने के बाद अब उनकी प्लानिंग हरिद्वार घूमने की थी। सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि सभी 13 लोग चार अलग-अलग कमरों में रुके हुए थे। घटना के वक्त वह रूम नंबर 201 में पत्नी सुधा के साथ ठहरे हुए थे। सुबह समय पर निकलने के लिए वह उठकर ब्रश कर रहे थे, तभी उन्हें अपने साले की जोर से चिल्लाने की आवाज सुनायी पड़ी। दरवाजा खोलकर देखा तो हर तरफ धुंआ ही नजर आए। सब लोग इधर-उधर जान बचाने के लिए भागे। इसी दरम्यान परिवार के 3 लोग अचानक गायब हो गए। उन्हें, पत्नी और साली और अन्य लोगों को सीढ़ी लगाकर नीचे उतारा गया।