2 डिग्री तापमान बढ़ने पर सदी के अंत तक हिमालय की आधी बर्फ पिघल सकती है: अध्ययन

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लाइफस्टाइल डेस्क. 200 वैज्ञानिकों और विश्लेषकों के अध्ययन के मुताबिक, अगर इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेंटीग्रेट बढ़ा तो हिमालय क्षेत्र की आधी बर्फ पिघल सकती है। अध्ययन के मुताबिक, अगर पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित तापमान 1.5 डिग्री सेंटीग्रेट (साल 2100 तक) भी बढ़ा तो भी बर्फ पिघलने से भारत, पाकिस्तान, भूटान और चीन समेत 8 देशों में अरबों लोग प्रभावित होंगे।

  1. लैंडमार्क रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया का सबसे विशाल बर्फ क्षेत्र का तिहाई हिस्सा पिछलकर पानी में डूब चुका है। जिसके परिणाम 2 अरब लोगों को भुगतने होंगे। वहीं दुनियाभर में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन को रोका नहीं गया तो तापमान बढ़ने से स्थिति और भी खतरनाक हो जाएगी। हिंदू कुष और हिमालय के 36 फीसदी ग्लेशियर 2100 तक पिछल जाएंगे।

  2. हिंदू कुष हिमालय रीजन में मौजूद ग्लेशियर इस क्षेत्र में रहने वाले 25 करोड़ लोगों के लिए पानी का स्त्रोत हैं। यहां से निकलने वाली नदियां भारत, पाकिस्तान और चीन समेत दूसरे कई देशों में पहुंचती हैं। करीब 160 करोड़ लोग इन्हीं नदियों के भरोसे प्यास बुझाते हैं। तापमान बढ़ने से 1970 में ही हिंदू कुष-हिमालय क्षेत्र की करीब 15 फीसदी बर्फ पहले ही पिछल चुकी है।

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    हिंदू कुष-हिमालय क्षेत्र अफगानिस्तान से लेकर म्यांमार तक को कवर करता है। इसे ग्रह का तीसरा ध्रुव कहा जाता है जहां आर्कटिक और अंटार्कटिका के मुकाबले के ज्यादा बर्फ है। वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेटीग्रेट तक सीमित करने के लिए 2050 तक कार्बन उत्सर्जन में कटौती करते हुए शून्य तक लाने की जरूरत है। यह क्षेत्र करीब 3500 किलोमीटर लंबा है जहां तापमान बढ़ने के प्रभाव हर जगह अलग-अलग रूप में दिखाई देंगे।

  4. रिसर्च रिपोर्ट का नेतृत्व करने वाले इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट के प्रोफेसर फिलिपस वेस्टर का कहना है कि शोध की सबसे आश्चर्यजनक बात हिंदू कुष-हिमालय के ग्लेशियर हैं। दूसरी जगहों के मुकाबले यहां के ग्लेशियरों पर बेहद कम ध्यान दिया गया है। ब्रिसल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जेम्मा वाधम के मुताबिक, यह ऐसा खास क्षेत्र है जहां जलवायु परिवर्तन असर साफ दिखेगा। रिपोर्ट की मदद से 8 देशों में पिछल रहे ग्लेशियर को बचाने की अपील की गई है।

  5. प्रोफेसर वेस्टर का कहना है कि वर्तमान में जो स्थिति है उसके मुताबिक तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। 2050 से 2060 तक नदियों में पानी का बहाव तेज होगा जिसके कारण जमीन से ऊंचाई पर बनी झीलें बेकाबू हो सकती हैं और उनका दायरा बढ़ेगा। 2060 तक नदियों में पानी का बहाव कम होगा, खासतौर पर भारतीय और एशियाई नदियों पर इसका प्रभाव अधिक दिखेगा।

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      a third of himalayan ice cap doomed finds shocking landmark report

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