पटना.पश्चिम बंगाल की वर्तमान परिस्थितियों के संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोक संवाद में कहा कि यह मामला कोर्ट में है, इसलिए इस पर कुछ भी बोलना उचित नहीं है। हम लोग संवैधानिक व्यवस्था, कानूनी व्यवस्था और अच्छी परंपराओं को अपनाकर ही चलते हैं। इस मसले पर सीबीआई और ममता बनर्जी ही बता सकती हैं। कांग्रेस जब चरम पर थी, तब बड़ी आसानी से राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता था, लेकिन अब यह स्थिति नहीं है। यूपीए ने वर्ष 2005 में बिहार में भी राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पश्चिम बंगाल में भाजपा के नेताओं को रैली करने से रोके जाने पर कहा कि देश में किसी भी दल को कहीं पर भी रैली करने का अधिकार है। कोई कहीं भी सभा-रैली कर सकता है। कल ही पटना में रैली हुई। हमने रोक लगाई क्या?
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आएगा, वैसे-वैसे देश में चुनावी हथकंडे खूब देखने को मिलेंगे। आने वाले एक महीने तक कुछ भी हो सकता है, जब तक की चुनाव आचार संहिता लागू नहीं हो जाती है। कुछ लोगों को देश की चिंता नहीं है। उनको तो सिर्फ वोट की चिंता है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि रैली के जरिए बिहार की स्थिति पर सवाल उठाने वाले लोगों को शायद पता नहीं कि बिहार का ग्रोथ रेट 11.3 प्रतिशत है। पिछले 13 वर्षों में बिहार में कृषि, सड़क, बिजली सहित अन्य क्षेत्रों में कितना काम हुआ है। उत्पादन और उत्पादकता में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है, इसका आकलन कर लेना चाहिए। हमारे आने के बाद बिहार की स्थिति में कितना बदलाव हुआ है, लोगों की आमदनी कितनी बढ़ी है, इस बिहार में सड़कें कब और कितनी बनी हैं, इन सब बातों पर कुछ भी बोलने से पहले इसका एनालिसिस करना चाहिए।
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रालोसपा के जुलूस पर लाठीचार्ज के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी एक्टिविटी हुई, टेलीविजन के माध्यम से उसे सभी लोगों ने देखा कि पुलिस वालों ने कब लाठी चलाई? जान-बूझकर ऐसी परिस्थिति पैदा की गई है। ऐसे हालात में पुलिसकर्मियों को धैर्य और संयम के साथ सभी चीजों को देखते हुए कार्रवाई करनी चाहिए। पुलिस प्रशासन के लोग धैर्य का परिचय दें, ऐसी स्थिति में रिएक्ट करने की जरूरत नहीं है। पब्लिसिटी पाने और चुनावी लाभ लेने के लिए यह पुराना तरीका है। पुलिस जब भी जवाबी कार्रवाई करती है तो चर्चा होने लगती है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि भाषण के दौरान राहुल गांधी को किसी ने बता दिया होगा कि पटना विश्वविद्यालय पर भी बोल दीजिए, अच्छा ही रहेगा। जहां तक सवाल पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने का है तो यह मांग बहुत पुरानी है। 10 वर्षों तक यूपीए के शासन में यह काम क्यों नहीं हो सका? सांसद रहते मैंने इस मुद्दे को कई बार उठाया, पर किसी ने संज्ञान नहीं लिया। अभी कुछ ही दिन पहले एक कार्यक्रम के दौरान पएम नरेंद्र मोदी पीयू में आए थे तो हमने सजेस्ट किया था। इसी को देखते हुए राहुल गांधी चुनावी फायदे के हिसाब से ऐसी बातें कर रहे हैं।