मुंबई. 26 नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही मुंबई की सेशन कोर्ट ने पाक सेना के दो अफसरों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। कोर्ट ने यह फैसला लश्कर-ए-तैयबा के अमेरिकी मूल के आतंकी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही पर लिया है। हेडली का कहना है कि पाक सेना के मेजर अब्दुल रहमान पाशा और मेजर इकबाल ने मुंबई हमलों की साजिश रची थी।
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अभियोजन पक्ष का कहना है कि मेजर पाशा रिटायर्ड हो चुका है, जबकि मेजर इकबाल अभी पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई में तैनात है। मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को की जाएगी।
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मुंबई पुलिस की क्राईम ब्रांच ने भी मेजर पाशा और मेजर इकबाल को अपनी चार्जशीट में वांछित अपराधी बताया है। एडिशनल सेशन जज एसवी यारलगाद्दा ने इस मामले में 21 जनवरी को अभियोजन पक्ष की अपील को स्वीकार किया था।
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कोर्ट इस समय लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सैय्यद जैबुद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल के मामले की सुनवाई कर रही है। जुंदाल पर आरोप है कि उसने 26/11 हमलों में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
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डेविड कोलमेन हेडली फिलहाल अमेरिका की जेल में बंद है। 26/11 मामले में वह सरकारी गवाह बन चुका है। 2016 में उसकी गवाही वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई थी। हेडली ने कोर्ट को बताया था कि इन हमलों की साजिश पाक सेना ने अपने आतंकी संगठनों के साथ मिलकर रची थी।
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अभियोजन पक्ष के वकील उज्जवल निकम ने कोर्ट को बताया कि 26/11 हमलों की साजिश जब रची जा रही थी तब बैठक में पाक सेना के दोनों अफसरों के अतिरिक्त लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी साजिद मीर, अबु काहफा और जाकी-उर-रहमान लखवी भी मौजूद थे। निकम का कहना था कि दोनों सैन्य अफसरों के खिलाफ अभियोजन पक्ष के पास और भी सबूत हैं।
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निकम का कहना है कि हेडली ने कोर्ट को बताया था कि उसने सितंबर 2006 में मुंबई का दौरा कर दक्षिणी मुंबई और ताज होटल की रेकी की थी। जब वह पाक गया तब उसने इससे जुडे़ फोटो मेजर इकबाल को सौंपे थे। इकबाल ने उसे 18 लाख रुपये भी दिए थे।
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इकबाल ने हेडली से कहा था कि वह भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर और सेंट्रल मुंबई स्थित शिवसेना के आफिस के बारे में जानकारी जुटाए। भारत में रेकी करने के लिए मेजर पाशा ने हेडली को 80 हजार रुपये भी दिए थे।
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हेडली ने कोर्ट को बताया था कि मेजर पाशा चाहता था कि दिल्ली स्थित नेशनल डिफेंस कॉलेज को आतंकी हमले में निशाना बनाया जाए। उसका मानना था कि अगर हमला सफल होता है तो भारतीय सेना के बहुत से बडे़ अफसर मारे जाएंगे।
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26 नवंबर 2008 को समुद्री रास्ते से पाक के 10 आतंकी मुंबई में दाखिल हुए थे। आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करके 166 लोगों के साथ 18 सुरक्षा कर्मियों की हत्या कर दी थी। हमले तीन दिनों तक जारी रहे थे। इस दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन के साथ ताज और ट्राईडेंट होटल को भी निशाना बनाया गया था।
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सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में नौ आतंकियों को मार गिराया गया था, जबकि एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। उसे बाद में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
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