नई दिल्ली (अजय कुलकर्णी).इस साल ठंड ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं। आमतौर पर मध्य भारत में ठहर जाने वाली शीत लहर इस बार दक्षिण भारत तक जा पहुंची। इधर, मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अब गर्मी भी सामान्य से 2 डिग्री तक ज्यादा पड़ेगी। बारिश का अनुमान भी अच्छा बताया जा रहा है।
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मौसम विभाग के क्लाइमेट प्रिडिक्शन प्रमुख डीएस पई बताते हैं कि आमतौर पर शीत लहर का असर दक्षिण भारत तक नहीं पहुंचता। लेकिन इस साल जनवरी में शीत लहर उत्तर और मध्य भारत को पार करते हुए दक्षिण तक जा पहुंची है। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु तक में सामान्य से 4 से 5 डिग्री कम तापमान दर्ज किया गया। जबकि दक्षिण भारत में जनवरी में तापमान औसतन 18 से 25 डिग्री रहता है।संभावना जताई जा रही है कि ठंड का यह सिलसिला मार्च तक जारी रहेगा।
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मौसम का फोरकास्ट करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार फरवरी और मार्च के महीनों में तापमान सामान्य से दो डिग्री कम रह सकता है। पई के अनुसार इस साल उत्तरी ध्रुव पर कम दबाव का क्षेत्र बनने से यूरोप से शीत लहर भारत आ रही है। इसी वजह से पूरे देश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इन्हीं ठंडी हवाओं के कारण बर्फबारी भी इस बार अधिक हो रही है। लेकिन क्या इस ठंड का असर आने वाले मौसमों पर भी पड़ेगा? आम धारणा है कि जब ठंड ज्यादा पड़ती है तो इसके बाद गर्मी भी अधिक पड़ती है, जिसका असर माॅनसून पर भी देखने को मिलता है। यानी ज्यादा गर्मी पड़ने पर बारिश अच्छी होने की उम्मीद होती है।
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स्काइमेट की ताजा रिपोर्ट कहती है कि भारत में मार्च के बाद जून तक कड़ी धूप रहेगी। तापमान भी सामान्य से दो डिग्री तक अधिक रह सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि हर साल किसी शहर में मई में तापमान 38 से 40 डिग्री तक पहुंचता है तो इस साल वह 42 डिग्री तक जा सकता है। मई के आखिर में इस बार सामान्य से अधिक लू चलने की आशंका है। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि गर्मी के मौसम में अल नीनो की आशंका 60 फीसदी है।
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समुद्र की सतह के तापमान में उल्लेखनीय वृध्दि नहीं है, यह नॉर्मल अल नीनो के लक्षण हैं, यानी तेज ठंड के बाद अब गर्मी भी तेज पड़ने की आशंका है। इसके बाद बारिश के मौसम में राहत की उम्मीद है। डीएस पई के अनुसार, जनवरी में अल नीनो सामान्य रहा। आगे चलकर यह और कमजोर हो सकता है, ऐसे में मानसून अच्छा रहेगा। स्काइमेट के अनुसार इस साल बारिश सामान्य रहने की संभावना है। अमेरिका के नेशनल क्लाइमेट प्रिडिक्शन सेंटर की जनवरी की रिपोर्ट के अनुसार भी इस साल भारत में बारिश सामान्य रह सकती है। हालांकि इसका सही-सही अंदाजा समय-समय पर जारी होने वाले अनुमानों के आधार पर लगेगा।
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दिसंबर-जनवरी में शीत लहर महाराष्ट्र से केरल तक जा पहुंची। स्काइमेट के अनुसार नागपुर देश के लगभग बीच में पड़ता है। आमतौर पर शीत लहर का असर यहां तक नहीं होता, लेकिन जनवरी के 31 में से 19 दिन तापमान 10 डिग्री के नीचे रहा। सामान्यत: यह 13 डिग्री तक रहता है। वहीं केरल के मुन्नार में जनवरी में लगातार 12 दिन पारा नीचे रहा। 5 जनवरी को तो माइनस 3 डिग्री पहुंच गया। कोट्टयम में 3 जनवरी को तापमान 16 डिग्री रहा, जो अब रिकॉर्ड है।
ऐसा इसलिए: ऐसा कमजोर इंडेक्स साइकल के कारण है। जैसे- एक रस्सी को दोनों छोर से खीचें तो सीधी रहती है। इसे मजबूत साइकल कह सकते हैं। रस्सी को ऊपर-नीचे हिलाएं, तो सर्पिला आकार बनाती है। यह कमजोर स्थिति है। इसमें लहरें दक्षिण में झुकाव बनाती हैं। इसलिए दक्षिण तक शीत लहर रही।
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दिसंबर में दिल्ली में कोहरा कम रहा। विजिबिलिटी के हिसाब से भी यह 22 साल में सबसे क्लीयर रहा। आमतौर पर दिसंबर में दिल्ली में 300 घंटे कोहरा होता है। इस बार 145 घंटे ही रहा। करीब 9 रातें कोहरे वाली होती हैं, जबकि इस मौसम में केवल दो ही रातें ऐसी रहीं।
ऐसा इसलिए: मौसम विभाग के अनुसार इस बार दिसंबर में वेस्टर्न डिस्टरबेन्स का असर कम देखने को मिला। इसलिए दिल्ली में मौसम हर बार की तुलना में साफ रहा और कोहरा भी कम रहा।
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बर्फबारी से हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल अच्छी होने की उम्मीद है। सेब के पेड़ों के लिए सर्दियों में 1,200 घंटों के लिए शून्य डिग्री के आस-पास तापमान जरूरी है। 15 दिसंबर के बाद ये चिलिंग अवर्स लगातार मिले। इसलिए उम्मीद है प्रदेश में 3 करोड़ सेब की पेटियों का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। भारी बर्फबारी के बाद 8 जिलों में 22 जनवरी से जनजीवन थमा हुआ है। इसमें 9 फरवरी तक राहत मिलने की उम्मीद कम ही है।