जयपुर (प्रेम प्रताप सिंह).कांग्रेस सरकार के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह अपने बयानों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। चुनाव से पहले नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के पक्ष में पीसीसी की बैठक में हाथ खड़ा कराने से लेकर सिक्का उछालकर मुख्यमंत्री का नाम तय करने जैसे बेबाक बयान दे चुके हैं। दैनिक भास्कर ने उनसे सरकार से लेकर संगठन तक सारे सवाल किए, जिन पर उन्होंने खुलकर अपनी राय रखी।
सवाल :मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की डबल इंजन की सरकार पर सवार होकर आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
मंत्री : मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि राजस्थान में कोई डबल इंजन की सरकार नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने हर नेता की भूमिका और जिम्मेदारी तय की है, सब सरकार और संगठन में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, चाहे सीएम हो या डिप्टी सीएम या फिर मंत्री। इसके अलावा किसी प्रकार का मतलब निकालना या फिर शब्द का प्रयोग करना कतई उचित नहीं है।
सवाल :विश्वेंद्र ने कभी पायलट के पक्ष में हाथ खड़ा कराया, तो चुनाव के बाद सीएम तय करने के लिए सिक्का उछालने की बात की। यह क्या है?
मंत्री : पुरानी बात छोड़ दीजिए, पहले मैं क्या बोला, क्या नहीं? अब मैं सरकार में मंत्री हूं, हर शब्द को सोच समझकर बोलना है। राहुल गांधी के नेतृत्व में सभी ने मिलकर चुनाव लड़ा और कांग्रेस की जीत हुई है। जहां तक सीएम तय करने के लिए सिक्का उछाने की बात है तो मैंने सिर्फ मजाक में ऐसा शब्द बोला था। इसके पीछे मेरी कोई दूसरी मंशा नहीं थी।
सवाल : ऑब्जर्वर की ओर से विधायकों की राय लेने पर आप नाराज होकर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से चले गए थे?
मंत्री : नाराजगी का सवाल ही नहीं था। उस दिन मेरे कोई करीबी व्यक्ति एसएमएस अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें देखने के लिए चला गया था। जहां तक है, विधायकों की राय का कोई मतलब नहीं था। जब एक लाइन में प्रस्ताव पास कर दिया गया कि आलाकमान का फैसला हमें मंजूर है तो फिर कुछ नहीं बचता। मेरा आशय इतना ही था।
सवाल :क्या विश्वेंद्र सिंह के कद के अनुसार उन्हें विभाग मिले हैं?
मंत्री : हां पर्यटन, देवस्थान और गोपालन बड़े विभाग है। रोजगार सृजन की बड़ी संभावनाएं है। इस पर मैं काम कर रहा हूं। इसके लिए प्रदेश की विरासत को संरक्षण करने का भी कार्य कर रहा हूं।
सवाल :जिस जिले के प्रभारी मंत्री हैं, उस जिले का कलेक्टर आपका फोन नहीं उठा रहा है। क्या कांग्रेस सरकार में ब्यूरोक्रेसी बेलगाम हो गई है?
मंत्री : गुरुवार रात करौली जिले में दो वर्ग के बीच में जातीय संघर्ष की सूचना मेरे पास आई थी। इसके बारे में सूचना लेने के लिए रात्रि दस बजे कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। ऐसे में मैंने जानकारी किसी दूसरे अफसर से ले ली। हालांकि यह प्रदेश के लिए जरूर चिंता की बात है कि कलेक्टर प्रभारी मंत्री का फोन नहीं उठाएगा तो किसका उठाएगा। इस मामले में संभागीय आयुक्त से शिकायत कर दी गई है।
सवाल :जाट आंदोलन को लेकर आपके खिलाफ भाजपा सरकार ने मुकदमा दर्ज कराया था। क्या कांग्रेस सरकार अब इसे वापस लेगी?
मंत्री : भाजपा सरकार की ओर से राजनीतिक मुकदमे दर्ज कराए गए थे। कांग्रेस सरकार ये मुकदमे वापस ले, यह फैसला करना सरकार का काम है। आप मुख्यमंत्री से सवाल कर सकते हो।
सवाल :क्या सवर्ण आरक्षण देश में गेम चेंजर का काम करेगा?
मंत्री : सवर्ण आरक्षण का कांग्रेस ने भी स्वागत किया है। इसका देश के सामान्य वर्ग के लोगों को लाभ मिलना चाहिए, लेकिन 1990 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमिशन लागू किया था तब मैं देश का पहला ऐसा सांसद था जिसने सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए वकालत की थी। इसके विरोध में मैंने जनता दल के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था।
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