एलएंडटी के चेयरमैन की 54 साल की नौकरी में इतनी छुटि्टयां बचीं कि रिटायरमेंट पर 19 करोड़ रु. ज्यादा मिले

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नई दिल्ली.लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के नॉन एक्जीक्यूटिव चेयरमैन अनिल मणिभाई नायक 54 साल तक काम करने के बाद पिछले महीने रिटायर हो गए। इन सालों में उन्होंने लगातार काम किया। इस दौरान उन्होंने जो छुट्टियां नहीं लीं, उसके लिए 19.4 करोड़ रुपए (लीव एनकैशमेंट) अलग से दिए गए।

पद्म विभूषण के लिए चुने गए

एलएंडटी की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक रिटायरमेंट पर नायक को 137 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान हुआ। इसमें उनकी आखिरी महीने की बेसिक सैलरी 2.7 करोड़ रुपए के अलावा ग्रेच्युटी और अन्य लाभ के करीब 100 करोड़ रुपए शामिल हैं। दक्षिण गुजरात के गांव के प्राइमरी स्कूल टीचर के बेटे नायक को इस साल गणतंत्र दिवस पर दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए भी चुना गया था। 1965 में जूनियर इंजीनियर के रूप में एलएंडटी से जुड़ने वाले नायक ने कंपनी को नई ऊंचाइयां दीं। एलएंडटी को कंस्ट्रक्शन बिजनेस के साथ ही डिफेंस सेक्टर में मजबूती से स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका रही है।

कंपनी को बिकने से बचाया

नायक ने 80 के दशक में एलएंडटी को बचाने के लिए अकेले अंबानी फैमिली और आदित्य बिड़ला ग्रुप से लड़ाई लड़ी। इतना ही नहीं उन्होंने इन दोनों कॉरपोरेट ग्रुप के हाथों कंपनी को बिकने से बचाने में भी कामयाबी हासिल की थी। उन्होंने कर्मचारियों को समझाया था कि हम सब इसके मालिक रहेंगे तो कोई भी बाहरी व्यक्ति दोबारा कंपनी को खरीदने की कोशिश नहीं करेगा। 2003 में जब नायक सीईओ बने तब कंपनी की मार्केट वैल्यू लगभग 6 हजार करोड़ रुपए थी। उनकी देखरेख में कंपनी का मार्केट कैप 31 गुना तक बढ़ गया। इस समय कंपनी का मार्केट कैप 1.82 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।

2.7 करोड़ रुपए सैलरी प्रतिमाह, 75% दान करते हैं
अनिल नायक ने अगस्त 2016 में शिक्षा और सेहत के लिए नायक मेमोरियल ट्रस्ट बनाया। गरीबों को बेहतर शिक्षा और सेहत की सुविधाएं मिलती रहे इसके लिए उन्होंने इस ट्रस्ट को अपनी 2.7 करोड़ रुपए की सैलरी का 75% हिस्सा आजीवन देने का फैसला किया था। उनका कहना है कि स्कूल और अस्पताल बनाने का मकसद यह है कि हमारी आने वाली पीढ़ी दुनिया से मिलने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें।

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अनिल मणिभाई नायक।

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