न्यूज डेस्क। इंडियन मार्केट में डुप्लिकेट वाटर प्यूरिफायर और उसका मटेरियल मिल रहा है। इसमें सबसे ज्यादा हानिकारक पार्ट मेम्ब्रेन (झिल्ली) है। दरअसल, मेम्ब्रेन के अंदर ब्लैक कलर का कटा हुआ कपड़ा और रेशे जैसा रॉ मटेरियल यूज किया जा रहा है। यदि इससे फिल्टर किया गया पानी पिया जाता तब इंसान को गंभीर बीमारी भी हो सकती थीं।
ऐसी कई छोटी-छोटी कंपनियां आ चुकी हैं, जो ब्रांडेड कंपनी से कम कीमत में वाटर प्यूरिफायर दे रही हैं। लोग भी सस्ते के चलते इस तरह के प्यूरिफायर को खरीद लेते हैं। वैसे, कुछ कंपनियों के डुप्लिकेट प्यूरिफायर भी पकड़ने के कई मामले सामने आ चुके हैं। प्यूरिफायर में यूज होने वाली मेम्ब्रेन का काम क्या है और पानी को फिल्टर करने के लिए ये कितनी जरूरी है।
बीते 12 सालों से वाटर प्यूरिफायर का काम करने वाले मैक्सकूल कंपनी के ऑनर मांगीलाल वर्मा ने बताया कि मेम्ब्रेन के अंदर 0.5 माइक्रोन होल वाली जाली होती है। इसके होल इतने महीन होते हैं कि दिखाई नहीं देते। जब पानी पहले फिल्टर से होकर मेम्ब्रेन में पहुंचता है तब ये जालियां उसे फिल्टर करके आगे बढ़ा देती हैं। वहीं, पानी के वेस्ट पार्ट या खराब पानी को दूसरी तरफ से बाहर कर देती हैं।
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