मां अमिला देवी के दरवार में लगती है भक्तों की भीड़, दी जाती है सैकड़ो बकरों और मुर्गो की बली

सोनभद्र : कैमूर की पहाड़ियों में बिहार झारखंड की सीमा से सटे अति दुर्गम घने जंगल मे  कोन थाना क्षेत्र के अमिला देवी माँ  धाम में स्थित है जहां  शारदीय नवरात्र में मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता  है।

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मां अमिला आदिवासी समुदाय की प्रमुख देवी है जिसके कारण यहां का प्रमुख पुजारी बैगा समुदाय के लोगो का आधिपत्य रहता है। यहां  ऐसी मान्यता कि की मां अमिला देवी ने एक बैगा को स्वप्न्न दिया था कि अमिला गांव में ऊंची पहाड़ी पर मैं प्रकट होऊँगी जिसके बाद बैगा ने जाकर सुबह देखा तो वहां मां प्रकट हुई थी तभी से वहां पूजा पाठ होता चला आ रहा है

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यहां पर प्रतिवर्ष चैत नवरात्र व क्वार शारदीय नवरात्र में लाखों की संख्या में भक्त आते है और अपनी मन्नते मांगते है। इस दौरान मुर्गा और बकरा की बलि भी देने की प्रथा है जो बलि देता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है ।  कहते है कि लोग रोते हुए आते है और मां की कृपा से हँसते हुए जाते है। यहां मां अमिला भवानी  के यहां मनौती होती है और दनवा बाबा के पास बलि चढ़ाया जाता है।

मां की दिनो दिन बढ़ती ख्याति से नक्सल क्षेत्र में जिला प्रशासन द्वारा सुगम रास्ते का निर्माण कराया गया है यहां हर वर्ष बड़े पैमाने पर दर्शनार्थियों की भीड़ बढती ही जा रही है। 

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जिले में नक्सलवाद चरम पर होने के बावजूद भी माँ के भक्तों में कोई कमी नही आई जबकि अब नक्सल उन्मूलन के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ ने यह साबित कर दिया कि लोगों में सुरक्षा की भावना जगी है। तमाम समस्याओं के बाद भी मां के दरबार में माथा टेकने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु तड़के पहुंचते है। यहां पर मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मां अमिला देवी मंदिर के आस-पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं। पीने के पानी की मुकम्मल तैयारी है। नवगठित सरकार की ओर से भी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पूरी तैयारी पर ध्यान दिया गया है।

दर्शन करने आये श्रद्धालु सीताबी देवी ने वताया की यहां आने से और बली चढ़ाने से हर मुराद पूरी हो जाती है तो हम भी मुराद लेकर आये है।

वही मां अमिलाधाम देवी का दर्शन करने पहुचे सदर विद्यायक भूपेश चौबे ने बताया यहां पर मां भवानी की अद्भुत प्रतिमा है भक्तों की जो भी मनौती होती है सभी मनौती पूरी होती है अटूट विश्वास है लोगो का।वही परंपरा कद अनुसार यहां बकरे की बलि दी जाती है।

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