मौसम ने ली करवट शुरू हुई श्रीविधि से धान की रोपाई

@भीम कुमार

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दुद्धी।। बारिस की मौसम ने काफी देरी से दस्तक दी , जिसका सीधा असर शुरुआती समय से ही खरीफ सीजन के फसल पर पड़ता नजर आ रहा है। आदिवासी बहुल इलाकों में सिंचाई का साधन नहीं के बराबर उपलब्ध रहने के कारण छोटे मोटे किसान वर्षा के पानी से ही अपने खेतों की तैयारी एवं खेतों में लगे फसलों की सिंचाई का आधार बनाकर चलते हैं। इस बार खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की रोपाई के लिए वर्षा काफी बिलम्ब से शुरू हुई। पिछले दो तीन दिनों से बारिस की हल्की फुल्की फुहारों से एक ओर जहाँ तपती गर्मी से लोगों को काफी हद तक राहत मिलती नजर आ रही है दूसरी ओर किसान खेती किसानी की ओर अग्रसर होकर अच्छी शुरुआत करते नजर आ रहे हैं। सोमवार को ऐसे ही कुछ महिला किसानों  को धान की रोपाई में मशगूल देखा जो किसी तरह मुश्किल से चापाकल से सिंचाई कर बीज शोधन कर नर्सरी लगाई थी पर रोपाई के लिए वर्षा होने के इंतजार में थी।

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ब्लॉक मुख्यालय से सटे करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बड़ाईडाँड़ (मल्देवा) की रहने वाली महिला किसान प्रफुलित गिद्धि पति विशाल प्रकाश जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की किरण आजीविका महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्या है एवं अमृत प्रेरणा महिला ग्राम संगठन से भी जुड़ी है ने घर के और सदस्यों के साथ मिलकर श्रीविधि से 4 विसुवा में धान की रोपाई की। पूछने पर प्रफुल्लित गिद्धि ने बताई की जब से (2016 से) समूह से जुड़े हैं तब से श्रीविधि से ही धान एवं गेहूँ की खेती करती आ रही हुँ। बिहार से समूह की दीदी आती रहती है एवं हमलोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। श्रीविधि से खेती करने से डेढ़ से दो गुने ऊपज तो हो ही जाता है साथ ही खेतों में रासायनिक खादों के जगह जैविक खाद ही डालने से खर्चे में भी कमी आती है एवं खेतों की उर्वराशक्ति बनी रहती है। समूह की महिलाओं को इससे काफी फायदा हो रहा है। इस बार भी बीज का शोधन कर नर्सरी लगाई थी बारिस के इंतजार में थी 10 -10 ईंच की दूरी पर एक से दो पौधा ही लगाया जाता है। कम खेत रहने के कारण और 2 विसुवा में ही धान की रोपाई करूँगी।

इसके बाद उन्होंने अपने घर के पिछवाड़े में लगे पोषण वाटिका को दिखाई एवं इसके बारे में बताते हुए बोली कि 6 सदस्यीय परिवार की हरि शाक सब्जी की जरूरतों की पूर्ति इसी से हो जाती है। इसमें वर्तमान में फूलगोभी, टमाटर, बैंगन, मिर्च, पालक,धनिया,मूली झींगा, लौकी,करेला,बोदी, झिंगली कुल 12 तरह की सब्जी लगे हुए हैं। लगभग आधे विसुवा में लगे पोषण वाटिका से सालों भर घर की जरूरत की सब्जी ,शाक निकल आती है। सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें रासायनिक खादों/ कीटनाशक दवाओं का उपयोग नहीं किया जाता है।
इसे कहते है विशेषज्
ब्लॉक दुद्धी में पदस्थापित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्लॉक एंकर पर्सन जय कुमार जोशी ने बताया कि किसानों को श्रीविधि एवं जैविक खेती को अपनाना चाहिए। जिस तरह से जनसंख्या में गुणोत्तर वृद्धि हो रही है उसी रफ्तार से उपजाऊ जमीन भी कम होती जा रही है। आवश्यकता है कि किसान श्रीविधि एवं जैविक खेती को अपनौएँ जिससे समृद्धि बढ़ेगी।
इनका रखें ध्यान
श्रीविधि से धान की रोपाई में लाईन से लाईन एवं कतार से कतार के बीच की दूरी 10 ईंच होने चाहिए । निकॉनी / अवांछित खरपतवारों को निकालने में कोई परेशानी नहीं होगी। साथ ही पौधों को स्वस्थ रौशनी एवं जिससेशुद्ध हवा मिल सके। धान के पौधों में किट लगने पर श्री निमास्त्र बनाकर छिड़काव कर देने से किट नहीं लगेंगे। इसे घर पर तैयार किया जाता है।

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