सोनभद्र(सीके मिश्रा)आज मुख्य विकास अधिकारी सुनील कुमार वर्मा के नेतृत्व में भू-जल सप्ताह 21 जुलाई को कलेक्ट्रेट मीटिंग हाल में भू-जल संरक्षण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान सीडीओ
सुनील कुमार वर्मा ने कहा की‘‘खुशहाल भविष्य के लिए भू-जल बचाएं ‘‘ ‘‘रोजमर्रा के घरेलु कार्यों में जल बचत करें‘‘ ‘‘भावी पीढ़ी के लिए भू-जल को संजोकर रखें‘‘। क्या होगा कल, अगर नहीं बचायेंगे, वर्षा जल।
हकीकत में जल ही जीवन है, लिहाजा वर्षा के पानी को ज्यादा से ज्यादा संरक्षित किया जाय।
मुख्य विकास अधिकारी ने आगे कहा कि सरकारी मशीनरी के लोग पूरी तत्परता के साथ जल संरक्षण के लिए कोशिश करते हुए ज्यादा से ज्यादा जल संरक्षित करें। उन्होंने कहा कि जनपद के नागरिक वर्षा के हर बूंद को संरक्षित करके जिले के सभी क्षेत्र को सालों साल सिचाई/दैनिक उपयोग के साथ ही शुद्ध पेयजल हेतु आत्म निर्भर करें, सरकारी मशानरी के साथ ही आम नागरिक में इच्छाशाक्ति पैदा करने की ज़रूरत है, ताकि जल स्रोतों को मजबूत करते हुए वर्षा जल को प्यार के साथ संरक्षित किया जाय। मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि पानी को उस स्थान, समय पर तथा जिस रूप में लोगांं की आवश्यकता है, के मुताबिक जल संचयन करने की जरूरत है, इसको ध्यान में रखते हुए आपसी सहयोग की भावना से जल संचित करने का प्रयास किया जायेगा, तब भू-जल का मतलब सिद्ध होगा। पानी का उपयोग करते समय हमें इस बात का ध्यान अवश्व रखना चाहिए कि जिस पानी प्रयोग हम कर रहे हैं, वह पानी बेवजह का नुकसान न होने पायें, अर्थात पानी इस्तेमाल करने के बाद भी उस पानी को किसी अन्य कार्योंं में भी उपयोग किया जाय। उन्होंने कहा कि जिले में पानी की आवश्यकता को देखते हुए ‘‘सोन जलाग्रह योजना‘‘ का शुभारंभ किया गया है, जिसके तहत पानी के संचयन के लिए 1001 तालाबों का भी निर्माण कार्य कराया गया है और तालाबों के निर्माण से जल संचयन के साथ ही रोजगार भी लोगों को मुहैया कराया गया। इस तालाबों से पशु, जंगली जानवर व पक्षियों को भी पानी आसानी से उपलब्ध हो जायेगा।
श्री मुख्य विकास अधिकारी श्री वर्मा ने कहाकि भू-जल संरक्षण के लिए मेड़बन्दी, तालाब, पोखरों, बन्धा/बन्धी, चेकडैमों व स्थानीय जल स्रोता को सम्बन्धित विभागों द्वारा मजबूत किया जाय। सोनभद्र जिले में सोन जलाग्रह योजना के तहत अभियान चलाकर 1001 तालाबों का निर्माण करके अब तक जल संरक्षण के क्षेत्र में किये गये प्रयासों पर विस्तार से रोशनी डालते हुए कहा कि जल संरक्षण के लिए जो परम्पराएं बनाये गये हैं, वे पूरी तरीके से वैज्ञानिक व जल संरक्षण के लिए उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती, प्रकृति में भू-जल का भण्डार सीमित है। इसी पानी से खेती, पिने के लिए पानी तथा कल कारखाने भी संचालित होते हैं। इन परिस्थितियों में जल संरक्षण हम सभी का परम दायित्व है। जल संरक्षित करके हम सभी लोग पुनीत कार्य के पात्र बनें। बैठक में भू-जल संचयन हेतु सम्बन्धित अधिकारियों ने विस्तार से जानकारी देते हुए बांध-बन्धी, तालाब, खेतों आदि जल स्र्रोतो की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।
आयोजित गोष्ठी के मौके पर मुख्य विकास अधिकारी सुनील कुमार वर्मा के अलावा जिला विकास अधिकारी रामबाबू त्रिपाठी, जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय, जिला मनोरंजन कर अधिकारी अवधेश कुमार शर्मा, जिला कार्यक्रम अधिकारी अजीत कुमार सिंह, भूमि संरक्षण अधिकारी, अधिशासी अभियन्ता बन्धी प्रखण्ड, लघु सिंचाई विभग व भू-गर्भ जल विभाग से जुड़ें अधिकारी व कार्मिकगण आदि मौजूद रहें।