*रामजियावन गुप्ता*
बीजपुर (सोनभद्र)। पाँच दशकों से हिंदी काव्य मंचों पर गीतों की गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करने वाले गंधर्व पद्मभूषण गोपाल दास नीरज के निधन का समाचार सुनते ही रिहंद साहित्य मंच के साहित्यानुरागियों एवं साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई । शुक्रवार को रिहंद साहित्य मंच ने सदी के श्रेष्ठ गीतकार नीरज को अश्रुपूरित नेत्रों से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक शोक सभा के दौरान उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद किया । रिहंद साहित्य मंच के संरक्षक सुप्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार डॉ0 दिनेश ‘दिनकर’ ने नीरज के कालजयी कृतियों के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा ‘प्राणों के गीतों का गायक गाते-गाते एकाएक मौन हो गया’, रह गई हैं उसके गीतों की अनगूँजे जो मुरझाए म्लान अधरों से अमृत धार बनकर झलकती रहेंगी । काल का पहिया चलता रहेगा जब तक नैनों में नीर है नीरज भी रहेगा ।
संस्था के अध्यक्ष अभिषेक टंडन ने कहा पद्मभूषण नीरज का निधन हिंदी काव्य जगत की अपूरणीय क्षति है । काव्य मंच की एक न्यारी काव्य धारा सुख गई । महासचिव मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा पद्मभूषण नीरज का व्यक्तित्व गीतमय था । उनकी कृतियों की कीर्ति अमर है । उनके गीत शोक मृत प्राणों के लिए संजीवनी है । ‘भारती’ के कोष में वे अपनी कृतियों के साथ युगों-युगों तक जगमगाते रहेंगे । शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में नरसिंह यादव, डी एस त्रिपाठी, रामजी द्विवेदी, आर डी दूबे, देवी प्रसाद पाण्डेय, अरुण कुमार श्रीवास्तव, मनीष कुमार मिश्रा एवं कौशलेष दूबे आदि साहित्य प्रेमियों ने भी अपने-अपने सम्बोधन के जरिए गोपालदास नीरज के निधन को हिंदी जगत की भारी क्षति बताया ।
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