असम के चाय बागान : ‘जो भी यहां आता है, वो यहीं दफन हो जाता है’

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हम खड़े हैं गुवाहाटी से 280 किलोमीटर दूर गोलाघाट जिले में। हल्की धूप, 31 डिग्री तापमान के बीच बूंदें बरसती हैं और बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ने में जुटे महिला और पुरुष मजदूरों के हाथ तेजी से चलने लगते हैं। वे अपनी पीठ पर लगी टोकरी को अधिक से अधिक भर लेना चाहते हैं। इसके बावजूद 8 घंटे में वे 25 किलो पत्तियां नहीं तोड़ पाते। उन्हें दो घंटे ज्यादा काम करना पड़ रहा है ताकि पूरे दिन का पारिश्रमिक 137 रुपए मिल सकें।

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