10 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी
साढ़े तीन वर्ष पूर्व हुए सावित्री देवी हत्याकांड का मामला
राजेश पाठक
सोनभद्र। साढ़े तीन वर्ष पूर्व हुए सावित्री देवी हत्याकांड के मामले में शनिवार को सुनवाई करते हुए सत्र न्यायाधीश राम सुलीन सिंह की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर दोषी पति रग्घू वादी को सश्रम आजीवन कारावास व 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक संतोष वादी पुत्र स्वर्गीय रामलाल वादी निवासी झनकपुर (रनदह), थाना बभनी, जिला सोनभद्र ने बभनी थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसके पिता की मौत करीब 35 वर्ष पूर्व हो गई है। पिताजी की मौत के बाद उसके चाचा रग्घू वादी ने उसकी मां सावित्री देवी के साथ शादी कर लिया। उसके बाद वे लोग अलग रहने लगे और शादी के कुछ ही दिनों के बाद उसकी मां को प्रताड़ित करने लगे। इसके अलावा घर आने जाने व मिलने से भी मना कर दिया। जब 14 अप्रैल 2022 को अपनी बेटी की शादी कर रहा था तो चाचा रग्घू वादी के मना करने के बावजूद भी उसकी मां कार्यक्रम में शामिल हुई। इसके बाद से चाचा और नाराज हो गया तथा मारपीट करने लगा। इसी बात को लेकर दो तीन दिनों से दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा हो रहा था। 23/24 अप्रैल 2022 की रात करीब 12 बजे चाचा ने उसकी मां सावित्री देवी को बेरहमी से मारपीट कर उसके मुंह और गले में पेचकस घोपकर हत्या कर दिया। पेचकस अभी भी मुंह में घोपा हुआ है। लाश मौके पर पड़ी है। आवश्यक कार्रवाई की जाए। इस तहरीर पर पुलिस ने 24 अप्रैल 2022 को एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई के दौरान जहां अभियुक्त रग्घू वादी के अधिवक्ता ने पहला अपराध बताते हुए कम से कम दंड दिए जाने की याचना की, वहीं जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ज्ञानेंद्र शरण रॉय ने हत्या का मामला बताते हुए अधिक से अधिक दंड देने की याचना की। अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद दोषसिद्ध पाकर दोषी पति रग्घू वादी को सश्रम आजीवन कारावास व 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर 3 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी।
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