दवा का छिड़काव न होने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित लोग।

ब्लिचिंग पाउडर न मिलने से ग्रामीण पी रहे दूषित पानी।

सर्दी-खांसी मलेरिया टायफाइड डायरिया समेत अन्य बीमारियों का भरपूर बोलबाला।

उचित उपचार न होने से पड़ोसी राज्यों के अस्पतालों में भटक रहे मरीज

अरुण पांडेय

बभनी। विकास खंड में विभिन्न प्रकार की बीमारियों का बोलबाला है जिसके कारण मरीजों को बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है घर-घर दस्तक दे रही बीमारियों के कारण लोगों का हाल बेहाल है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले डीडीटी दवा का छिड़काव घर-घर हुआ करता था और कूओं में डालने हेतु ब्लिचिंग पाउडर दिया जाता था और घड़े में क्लोरोकीन की गोली आती थी जिसके कारण लोग इन समस्याओं से मुक्त रहा करते थे लेकिन अब ऐसा न होने से अस्पतालों का चक्कर लगाने को विवश हो जाते हैं। बरसात के महीने में जगह-जगह घांस-फूस कूड़ा – कचरा होने के कारण सर्दी-खांसी बुखार मलेरिया टायफाइड मियादी बुखार निमोनिया घाव गला बैठना समेत तमाम तरह की बीमारियों ने भयावह रूप धारण कर लिया है। अस्पताल में लोगों का तांता लगा होता है लेकिन स्थानीय कुछ लोगों की मानें तो लगभग तीस किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महज एक ही अधीक्षक की तैनाती है बहुत ज्यादा भीड़-भाड़ होने के कारण मरीजों का समुचित उपचार नहीं हो पाता जिसके कारण लोग अस्पताल का कई बार चक्कर लगाते फिरते हैं या फिर कुछ लोग पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में जाने को मजबूर हो जाते हैं उपचार के अभाव में लोगों का न ढंग से बुखार सही हो पाता है और न ही किसी खांसी या कोई इन्फेक्शन सही नहीं हो पाता है मरीजों को जिला अस्पताल या फिर वाराणसी के लिए रेफर कर दिया जाता है एक सौ बीस किलोमीटर दूर स्थित जिला अस्पताल की दूरी तय करने में या तो दम तोड़ देते हैं या फिर पहले मिलने वाली ब्लिचिंग पाउडर बंद होने के कारण लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं जिससे तमाम तरह की बीमारियां झकझोर कर रख देती हैं जिसके कारण लोग शारीरिक आर्थिक व मानसिक स्थिति से टूट जाते हैं। राम नरायन विकास चौबे, अनिल सम्पत, देवेन्द्र कुमार, सोनू, सुरेंद्र कुमार, सोनू, अमरकांत, राजेश कुमार, अरविंद, मोहित समेत अन्य लोगों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों को दवाओं के साथ कई प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं दे दी जाती हैं जिसे लेते-लेते लोग अम्बिकापुर सिंगरौली स्थित अच्छे अस्पतालों में जाने को विवश हो जाते हैं। लोगों ने जिलाधिकारी से क्षेत्र में पुनः डीडीटी का छिड़काव कराए जाने व कूओं में छोंड़ने हेतु ब्लिचिंग पाउडर की मांग की है जिससे क्षेत्र में बढ़ रही बीमारियों से निजात मिल सके व उपचार हेतु चिकित्सक बढ़ाए जाने की मांग की है। जब इस संबंध में खंड विकास अधिकारी से संपर्क किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका लिहाज इस दौरान उनका पछ नहीं रखा जा सका।

अमरेश चंद्र पांडेय (समाजसेवी) बभनी

कुछ साल से ब्लिचिंग पाउडर व दवा का छिड़काव बंद हो गया है जिससे तरह-तरह की बीमारियों ने हर घर में दस्तक देना शुरू कर दी हैं जिससे लोगों को उपचार कराने को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जो चालू कराए जाने की आवश्यकता है।

प्रमोद दुबे मंडल अध्यक्ष बभनी।

करीब सात आठ साल से ब्लिचिंग पाउडर मिलना बंद हो गया है और न ही डीडीटी दवा का छिड़काव नहीं हो रहा है गरीब व आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण लोगों के पास इतना पैसा भी नहीं है कि बाहर जाकर किसी अच्छे अस्पतालों में ईलाज करा सकें जो पुन: चालू कराने की आवश्यकता है।

राधेराम पांडेय सेवानिवृत्त शिक्षक

पहले समय-समय पर दवा का छिड़काव कराया जाता था और ब्लिचिंग पाउडर दिया जाता था जो लोग कूएं में डाल दिया करते थे घड़े में डालने के लिए क्लोरोकीन नामक गोली आती थी जिससे गिने-चुने लोग ही बीमार होते थे लेकिन आज खान-पान के इस दौर में बंद हो जाने के कारण हर किसी को इसका दंश झेलना पड़ रहा है इसलिए इसे तत्काल चालू कराए जाने की आवश्यकता है।

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