शासन से अभिन्न निलंबन वापस किए जाने की उठाई मांग।
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के गृह सचिव को प्रिसीपल आफ नेचुरल जस्टिस के बारे में कोई कारण बताये कि किसी एक अपराध के लिए किसी भी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती- ये प्रिसीपल आफ नेचुरल जस्टिस के यूनिवर्सल नियम हैं जिन्हें संविधान से मान्यता मिली हुई है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के जज भी इसका पालन करते हैं। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जुगुल किशोर तिवारी ने भी इसी के तहत अपने मातहत की दूसरी सजा माफ की थी। जिस हास्यास्पद वजह से कर्तव्यनिष्ठ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, पुलिस उप महानिरीक्षक-फायर जुगुल किशोर तिवारी को निलंबित किया गया है, जिसको लेकर सवर्ण समाज में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। कई बुद्धिजीवियों ने शुक्रवार को हमारे विशेष संवाददाता से बात करते हुए कहां है कि वो वजह इतनी बचकानी है कि कोई जूनियर अधिकारी भी समझ जाएगा कि जब कुछ नहीं मिला तो एक बहाना लगा कर निलंबन कराया गया है। उनका यह भी कहना है कि इस घटना से पता चलता है कि योगी जी का अपने सचिवों पर कोई नियंत्रण नहीं और सचिव सिर्फ भारतीय पुलिस सेवा को दोयम दर्जे का दिखा कर अपना वर्चस्व दिखाना चाहते हैं। मामला यदि कोर्ट गया तो कोई नया नवेला जज भी फटकार लगा देगा। इसलिए समय रहते वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जुगल किशोर तिवारी का निलंबन निरस्त करना ही बुद्धिमानी होगी। इसी क्रम में मीडिया फोरम आफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ0 गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने जुगुल किशोर तिवारी के निलंबन को निरस्त करने की मांग करते हुए शासन से तत्काल युवा अनुकूल कार्रवाई करने की मांग की है। वार्ता में सोनभद्र के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी, राकेश शरण मिश्र और राम मनोहर द्विवेदी ने ने कहां है कि जिन्हें अपनी सेवा में उच्च सत्य निष्ठा बनाए रखने के लिए दो बार राष्ट्रपति और कई बार प्रदेश सरकार ने सम्मानित किया हो, जो प्रदेश पुलिस एसोसिएशन के 6 बार अध्यक्ष रहें हो उन्हें आचरण नियमावली के आरोप में निलंबित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बिलकुल बर्दाश्त के बाहर है। प्रदेश के महामहिम राज्यपाल मा मुख्यमंत्री जी से आग्रह है वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जुगल किशोर तिवारी की तत्काल निलबंन वापस करते हुए ससम्मान पद दिया जाए। सोनभद्र के वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद चौबे, सुरेंद्र ,राजेश पाठक ने अपनी प्रक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि जुगल किशोर तिवारी को निलंबित करना भारतीय जनता पार्टी की सरकार का उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों का अपमान ही नहीं पूरे देश के सनातनियों का अपमान है। इन्होंने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ,मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि तत्काल निलंबन वापस लिया जाए।