बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
भाजपा कार्यकर्ता गिना रहे पार्टी की प्राथमिकता तो अन्य प्रत्याशी विभिन्न बिंदुओं पर दे रहे आश्वासन।
दस वर्षों के बाद भी नहीं किया जा सका संचालन।
बभनी। लोकसभा चुनाव के टिकट का फैसला आज आने वाला है जिस बात को लेकर लोगों को बेसब्री से इंतजार है विधानसभा उप चुनाव के टिकट दे दिए गए हैं सभी राजनैतिक पार्टियों के प्रत्याशी व कार्यकर्ता अपने-अपने चुनावी एजेंडे को बताते हुए क्षेत्र भ्रमण कर एक दूसरी पार्टियों के प्रति आरोप-प्रत्यारोप करने में लगे हुए हैं और अपनी पार्टियों की उपलब्धियों को गिनाते नजर आ रहे हैं। जहां एक ओर बीजेपी का दावा चार सौ पार का है वहीं समाजवादी पार्टी से विजय सिंह गोंड़ अपने पुराने रुतबे से पीछे नहीं हट रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी भी अपने मतदाताओं को तलाशने में लगी हुई है तो दूसरी ओर आल इंडिया पिपुल्स फ्रंट पार्टी के कार्यकर्ता हर गांव – मोहल्लों में जाकर वार्ता करते दिख रहे है। लेकिन मुख्य बात तो यह है कि दक्षिणांचल के सुदूर अंचल में छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बभनी जो उच्च शिक्षा से कोसों दूर है पचास किलोमीटर दूर के क्षेत्रफल में महज एक महाविद्यालय दुद्धी में है जहां हर छात्र-छात्राओं का नामांकन होना असंभव हो जाता है सीट फूल हो जाने के कारण हजारों युवा शिक्षा से वंचित हो जाते हैं कुछ युवा छात्र-छात्राएं तो बाहर जाकर पढ़ाई कर लेते हैं कुछ निजी शिक्षण संस्थानों से लेकिन हर वर्ष हजारों युवा छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं जिसके कारण इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी कर आईटीआई की तलाश में जुट जाते हैं परंतु कुछ छात्र-छात्राएं परिवारिक आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण पढ़ाई-लिखाई में सही होने के बावजूद मजदूरी करने को विवश हो जाते हैं। बभनी विकास खंड के पोखरा गांव में सपा शासन काल में सन् 2014 में एक राजकीय महाविद्यालय का निर्माण कराया गया परंतु दस वर्ष बीत जाने के बाद भी पठन-पाठन शुरु नहीं हो सका जिस बात को लेकर युवा छात्र-छात्राओं व उनके अविभावकों के मन में राजनैतिक पार्टियों के प्रति उदासीनता देखने को मिली। हर अविभावकों के मन में बच्चों की उच्च शिक्षा के प्रति चिंता सताने लगी है और उनका कहना है कि केंद्र में मोदी और राज्य में योगी सरकार यह कभी नहीं चाहती कि कोई भी युवा अनपढ़ हो उसे उच्च शिक्षा दिलाने के लिए हर संभव प्रयासरत रहती है लेकिन हमारे सोनभद्र का दुर्भाग्य ऐसा है कि लोकसभा चुनाव में जिस प्रत्याशी को जिताया जाता है वे केवल हांथ जोड़कर चले जाते हैं इसके बाद इन दस सालों से सांसद कभी झांकने तक नहीं आए क्या ऐसे प्रत्याशी को जीताना उचित है ?
क्या कहते हैं पार्टियों के चयनित प्रत्याशी।
भाजपा प्रत्याशी श्रवण कुमार गोंड़।
यदि प्रत्याशियों की बात कही जाए तो भाजपा लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी श्रवण कुमार गोंड़ का कहना है कि हमारी सरकार स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार समेत ग्यारह महत्वपूर्ण बिंदुओं पर खरा उतरना ही हमारा लक्ष्य होगा राज्य में योगी सरकार में विकास के लिए हर मांग पूरी की जाती है और यह दुर्भाग्य का विषय है कि पिछले विधायक ने इस विधानसभा की जनता के हित के बारे में कुछ भी नहीं सोचा और सत्ता का दुरुपयोग करने लगा इसलिए अपने किए की सजा काट रहे हैं चुनाव जीतते ही डिग्री कॉलेज का पठन-पाठन शिघ्र ही शुरु करा दिया जाएगा।
सपा प्रत्याशी विजय सिंह गोंड़
इस मामले में सपा प्रत्याशी विजय सिंह गोंड़ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्व.राम प्यारे पनिका के समय में सन् 1968 में प्रस्तावित राजकीय महाविद्यालय को 2014 में हमने इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के युवा छात्र-छात्राओं की उच्च शिक्षा के लिए बभनी विकास खंड के पोखरा गांव में बनवाया लेकिन बीच में भाजपा की सरकार आ गई फिर भी हमने जितना हो सका महाविद्यालय का भवन तैयार कराकर पूर्ण कर दिया लेकिन अब हमारे पास इतना बजट नहीं बचा कि हम लेक्चरर प्रोफेसर व अन्य स्टाफ रखकर उनका वेतन दे सकें यदि युवा पीढ़ी के भविष्य की बात आती है तो इस बात की जिम्मेदार भाजपा सरकार है फिर भी यदि जनता मुझे इस योग्य समझते हुए अपना आशीर्वाद पुनः बनाए रखी तो हम इस कालेज का संचालन अवश्य कराएंगे।
हर्षित दुबे अध्यक्ष सोन छात्र संघ
सोन छात्र संघ के अध्यक्ष हर्षित दुबे का कहना है कि हम सभी युवा छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए दर-दर भटकना पड़ता है डिग्री कॉलेज तो बनकर तैयार हो गया है लेकिन उसका संचालन अबतक नहीं किया जा सका जिससे हम सभी युवा छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं और अंत में बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है जिसे दूर करने व युवा छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए उच्च शिक्षा का होना बेहद जरूरी है।
अमरेश चंद्र पांडेय समाज सेवी बभनी।
दुद्धी विधानसभा के अंतिम छोर पर स्थित बभनी क्षेत्र उच्च शिक्षा से वंचित है यदि आंकड़ों को देखा जाए तो स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बेहद कम है पचास किलोमीटर की दूरी में कोई डिग्री कॉलेज न होने से इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं इसलिए राजकीय महाविद्यालय का संचालन शिघ्र कराया जाना आवश्यक है। प्रत्याशी को चुनाव जीतने के बाद अपने मुख्य एजेंडा स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार पर पहल करना चाहिए लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनता के बीच उनका दर्शन दुर्लभ हो जाता है।