जन-जन की पहचान जब हिंदी,अपने घर क्यों मेहमान है हिंदी।

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के तत्वावधान मे सोनभद्र बार एसोसिएशन के सभागार मे हिंदी दिवस पर परिचर्चा व कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार अजय शेखर द्वारा मां वाग्देवी के चित्र पर माल्यार्पण, कार्यक्रम के आयोजक प्रद्युम्न त्रिपाठी द्वारा मां सरस्वती की वंदना किया गया।

तम हर जग मां जगमग कर दे.
दुख हर सुख मां घर घर भर दे।
हिंदी का बखान करते हुए काव्य पाठ किया-
जनजन की पहचान जब हिंदी,
अपने घर क्यों मेहमान है हिंदी।

कार्यक्रम के अध्यक्ष अजय शेखर ने अपने अध्यक्षीय भाषण मे कहां की- धाय मां प्यारी हो गई है, मां बेगानी जैसी है, हम कहां हैं वेशभूषा खानपान, शिक्षा, संस्कार, आचार विचार से गुलाम हैं। आज हमे जागना होगा। वरिष्ठ साहित्यकार/कथाकार, संपादक असुविधा रामनाथ “शिवेंद्र” हिंदी की दशा- दिशा को रेखांकित किया। विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी नहीं अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदुस्तान के जन-जन मे रची बसी हिंदी की वर्तमान समय में विश्व में हिंदी भाषा का स्थान महत्वपूर्ण हो गया है। दुर्भाग्य है कि आजादी के 75 साल बाद भी हमारी हिंदी भाषा भारत की राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई, इस दिशा में सरकार को यथाशीघ्र कार्य करना चाहिए। साहित्यकार पारसनाथ मिश्र, जगदीश पंथी, ईश्वर विरागी, अजय चतुर्वेदी “कक्का”, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार पाठक एड ने हिंदी की प्रासंगिकता पर अपना-अपना विचार व्यक्त किया। कवि विकास वर्मा, जयराम सोनी, प्रभात सिह “चंदेल”, दिलीप सिंह “दीपक” ,धर्मेंश चौहान, दयानंद “दयालु”, राकेश शरण मिश्र, कौशल्या कुमारी चौहान, दिवाकर द्विवेदी “मेघ विजयगढी”, बृजमोहन तिवारी ने काव्य पाठ कर वीर रस हास्य रस, श्रृंगार रस की की कविताएं सुना कर श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया। कार्यक्रम का संचालन कवि अशोक तिवारी ने किया। कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का आभार आयोजक प्रदुम्न तिवारी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर मदन चौबे, आत्मप्रकाश तिवारी, सुधाकर, स्वदेश प्रेम, जयशंकर तिवारी, सरोज कुमारी, देवानंद पांडेय आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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