बड़हर राज घराने की बहू युवरानी ने उठाई अगोरी किले के जीर्णोदार की आवाज
कहा-आजादी से पहले सात सौ साल तक रहा है राज परिवार का शासन
किले के नव निर्माण से जिले को होगा आर्थिक लाभ और बढ़ेगा मान- सम्मान
अवैध कब्जे और निर्माण को लेकर दुःखी है राज घराना
सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। जनपद के चोपन ब्लॉक के पश्चिम में अगोरी किला पर पिछले सात सौ सालो तक शासन करने वाला बड़हर राज घराना भी चाहता है कि भारत के पुराने किलो में गिने जाने वाले इस प्राचीन खंडहर हो रहे किले को संरक्षित कर इसका जीर्णोद्धार किया जाए । बड़हर राजघराने की युव रानी विंदेश्वरी सिंह ने कहा है कि मैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी को पत्र लिखने जा रहीं हूं। उन्होंने शासन प्रशासन से मांग किया है कि कि इस किले को संरक्षित किया जाए। इतना ही नहीं उन्होंने किले के अंदर
और बाहरी हिस्से में हो रहे अवैध कब्जा और निर्माण को लेकर दुःख भी जताया है और कहा है कि जब तक इस तरह के कब्जे होते रहेंगे जीर्णोधार संभव नही है इसे तत्काल रोका जाना चाहिए।बताया कि बलंद शाह के बाद तेरहवीं शताब्दी से इस किले पर हम राज घराने का 1963 जमीदारी उन्मूलन तक राज रहा है बीच में 1744 से1780 तक काशी नरेश के अधीन चला गया था। उन्होंने यह भी कहा कि किला राज्य सरकार के अधीन है और सरकार की जिमेवारी बनती है कि इसका सरंक्षण हो। और इसका नव निर्माण करा कर जनता के लिए खोल दिया जाए जैसे अन्य प्राचीन किलो में व्यवस्था अपनाई गई है। अगर सरकार ऐसा कर सके तो जिले का नाम रोशन होगा साथ ही पर्यटकों के आने जाने से आर्थिक आय भी बढ़ेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार हमारी मांग को गंभीरता से लेगी।जिससे यहां की पुरानी स्मृतियां जीवित रह सके।अन्यथा किला दिन प्रतिदिन खंडहर हो रहा है और किले की यादें भी मिट रही है।
भौगौलिक स्थिति और पहुंचने का रास्ता
सोनभद्र। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी वाराणसी शक्तिनगर मार्ग के बीच चोपन पुल से 8 किमी पश्चिम सोन नदी किनारे अगोरी का किला स्थित है । यहां काली मंदिर है और पूजा करने के साथ रोज लोग इस खंडहर नुमा दुर्ग को देखने आते है पर्यटक किले से सोन नदी का प्राकृतिक विहंगम दृश्य भी देख कर पुलकित होते है । इसका जीर्णोधार होने से सैकड़ों की संख्या में लोग पहुचेंगे साथ ही भोजपुरी फिल्मों की सूटिंग भी होने की पूरी उम्मीद जाग सकती है। अब देखना है कि राजघराने की बहू रानी के इस बुलंद आवाज को शासन-प्रशासन किस रूप में अंगीकार करता है!