राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अपनी कोई विचारधारा नहीं- जिला प्रचारक

सनातन संस्कृति, राम, कृष्ण व विवेकानंद का अनुगामी है संघ

चैतन्य वाटिका खड़िया कालोनी में मना वन विहार का उत्सव

शक्तिनगर (सोनभद्र)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपनी कोई विचारधारा नहीं, वह सनातन संस्कृति और सभ्यता को अपनाकर हिंदुत्व की सामाजिक नवचेतना जगाने का कार्य करता है। उक्त बौद्धिक उद्बोधन गुरुवार की दोपहर संघ द्वारा मनाए जाने वाले अपने एक महत्वपूर्ण उत्सव वन विहार कार्यक्रम में एनसीएल खड़िया परियोजना आवासीय परिसर के चैतन्य वाटिका में उपस्थित स्वयं सेवकों व समाज के प्रबुद्ध

लोगों के बीच जिला प्रचारक ने व्यक्त की। उन्होंने गुलामी काल में सनातन धर्म संस्कृति को कुचले जाने व हिंदुस्तानियों पर हो रहे अत्याचार और उसमें संघ की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा गुरु गोलवरकर व हेडगेवार द्वारा सनातन संस्कृति के जीवंतता को बनाए रखने वाला जो विचार 1925 में संघ की नीव का प्रभात शाखा के रूप में उदय हुआ, उसका सबसे बड़ा कार्य युवा वर्ग में अपनी सनातन संस्कृति सामाजिक समरसता की जनजागृति प्रदान कर श्रेष्ठ भारत का निर्माण रहा। आज जो विशाल वटवृक्ष के रूप में भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में अपनी सनातन हिन्दू समाज में स्पष्ट रूप से

देखा जा रहा है। संघ अपनी विचारधारा नहीं वह हिंदू संस्कृति पुरुषोत्तम श्रीराम , कृष्ण,स्वामी विवेकानंद और ऋषि-मुनियों द्वारा बताए गए आचार विचार संस्कार को अपनाकर समाज को भेदभाव रहित एक सूत्र में पिरो कर भारत को विश्व गुरु बनाने के लक्ष्य का अनुगामी है। वनविहार कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी अनिल पांडेय व संचालन नगर कार्यवाह अनिल चतुर्वेदी का रहा। संघ गीत स्वयंसेवक साहिल मिश्र द्वारा एवं संघ प्रार्थना आचार्य रमाकांत पांडेय ने कराई। उक्त अवसर पर सामूहिक भोज का आयोजन भी हुआ जिसमें संघ से जुड़े विभिन्न इकाइयों के कार्यकर्ताओं के साथ ही समाज के प्रबुद्ध नागरिक भारी संख्या में मौजूद रहे।

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