सांस के गंभीर दौरे जानलेवा हो सकते है – डा एस के पाठक
सही समय में सही ईलाज से मरीजों का भला – डॉ. राजेंद्र प्रसाद
वाराणसी।ब्रेथ ईजी चेस्ट फाउंडेशन फॉर ह्यूमैनिटी, ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट, एलर्जी केयर अस्पताल (अस्सी, वाराणसी) एवं आई.एम्.ए (वाराणसी चैप्टर) के संयुक्त तत्वाधान से 25 जून 2023 (रविवार) को होटल रेडिसन, वाराणसी में एक चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे विश्व विख्यात चिकित्सक वर्तमान स्थिति के सबसे गंभीर व महत्वपूर्ण विषय को चुनते हुए वायुमार्ग से सटे घावों के लिए न्यूनतम इनवेसिव सुई बायोप्सी EBUS व गंभीर श्वांस की बीमारी पर परिचर्चा की I इस चिकित्सकीय कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत बी.सी रॉय अवार्ड – डॉ राजेंद्र प्रसाद (प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष – एरा मेडिकल कॉलेज), गेस्ट ऑफ़ हॉनर – डॉ. संदीप चौधरी (मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी), डॉ अंशुल मित्तल (मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली), डॉ. राजाधर (सी.एम्.आर.आई हॉस्पिटल, कोल्कता), डॉ. राजेंद्र प्रसाद (एरा मेडिकल कॉलेज, लखनऊ), डॉ. के.के गुप्ता (आई.एम्.एस, बी.एच.यू), डॉ.एस.के पाठक (निदेशक बेथ ईजी, वाराणसी), डॉ. वीरोत्तम तोमर (वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ, मेरठ)
डा सुनीता पाठक ( निर्देशिका ब्रेथ ईजी) ने संयुक्त रूप ने दीप प्रज्वलित करके किया I तदोपरांत अतिथियों ने ब्रेथ ईजी द्वारा प्रकाशित बी.ई टाइम्स पत्रिका का विमोचन किया I
ब्रेथ ईजी द्वारा आयोजित इस चिकित्सीय संगोष्ठी में देश के जाने माने चिकित्सकों ने शिरकत किया जिसमे डॉ जे.के मिश्र (वाराणसी), डॉ जी.एन श्रीवास्तव (वाराणसी), डॉ. के.के त्रिपाठी (वाराणसी), डॉ. आशीष टंडन (प्रयागराज), डॉ दीपक कालरा (उदैपुर) आदि मुख्य रूप से इस चिकित्सीय संगोष्ठी का हिस्सा बने I
मुख्य चिकित्सा अधिकारी – डॉ. संदीप चौधरी ने काशी की जनता से आगाह किया कि डिस्पेनिया( सांस की समस्या) की गंभीर समस्या से बचने के लिए विशेषज्ञ से परामर्श एवं इलाज कराये एवं विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि कम खर्चों में मरीजों को बेहतर ईलाज प्रदान कराए I
रेस्पिरेटरी कानक्लेव कांफ्रेंस 2023 के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्ररी व् वरिष्ठ श्वांस एवं टी.बी रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.के पाठक ने बताया कि – “ब्रेथ ईजी के प्रयास से पिछले एक दशक से इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा हैं, इतना ही नहीं लॉकडाउन होने पर भी यह कार्यक्रम रुका नहीं, इसे ऑनलाइन के माध्यम से (वर्चुअल) किया गया जिसे भरपूर सराहा गया I इस चिकित्सकीय संगोष्ठी का उद्देश्य चिकित्सको को गंभीर श्वांस बीमारी के प्रति नयी पद्दिती की जानकारी के बारे में अवगत कराना हैं, जिससे मरीजों को श्वांस जैसी गंभीर बिमारियों से कम समय तथा कम खर्च में आसानी से ईलाज मिल सके I डॉ पाठक ने असहज स्थिति – डिस्पेनिया एवं गंभीर श्वांस की बीमारी पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी और इससे बचने के विषय में भी प्रकाश डाला I ”
डॉ अंशुल मित्तल (मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली) ने वायुमार्ग से सटे घावों के लिए न्यूनतम इनवेसिव सुई बायोप्सी EBUS के बारे में बताया I डॉ अंशुल मित्तल ने बताया – “एंडोब्रोनचियल अल्ट्रासाउंड (ईबीयूएस) ट्रांसब्रोनचियल सुई एस्पिरेशन (टीबीएनए) मीडियास्टिनल लिम्फ नोड्स की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण निदान प्रक्रिया है। हालाकिं ट्यूबरकुलस मीडियास्टिनल लिम्फैडेनाइटिस के निदान के लिए इस तकनीक की सटीकता और सुरक्षा का वर्णन करने वाले सीमित डेटा हैं फिर भी संदिग्ध पृथक मीडियास्टिनल लिम्फैडेनाइटिस वाले रोगियों के मूल्यांकन में BUS-TBNA एक सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन की जाने वाली प्रक्रिया है।“
ब्रेथ ईजी के निदेशक एवं रेस्पिरेटरी कॉन्क्लेव कांफ्रेंस के ओर्गानिज़िंग सेक्रेटरी डा एस के पाठक ने क्लिनिकल प्रैक्टिस में डिस्पेनिया के मैनेजमेंट के बारे में बताया I डॉ. पाठक ने यह भी बताया कि – “कई स्थितियों में सांस फूलना आम होता है लेकिन अक्सर चिकित्सकों द्वारा इसकी पहचान नहीं की जाती है और उपचार किसी और चीज़ को होने लगता हैं, कई बार इससे मरीज कोलेप्स भी कर जाता हैं I
डॉ. राजाधर (सी.एम्.आर.आई हॉस्पिटल, कोल्कता) ने फेफड़ों के क्रोनिक रोगों का प्रबंधन के बारे में बताया I डॉ राजाधर ने यह भी बताया कि – “प्रबंधन के प्रमुख लक्ष्य गैर-औषधीय उपचार जैसे धूम्रपान रोकने में मदद सहित जोखिम कारकों के जोखिम को कम करना है। धूम्रपान बंद करने से फेफड़ों के कार्य में गिरावट की दर कम हो सकती है, जिससे उपचार में सफलता तेजी से मिलती हैं I”
डॉ. वीरोत्तम तोमर (वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ, मेरठ) , डॉ. के.के गुप्ता (आई.एम्.एस, बी.एच.यू) एवं डॉ. ए.के पाण्डेय (गैलेक्सी हॉस्पिटल, वाराणसी) द्वारा कार्डियोरेस्पिरेटरी ब्रेथलेसनेस पर पैनल चर्चा की गयी I पैनल में यह चर्चा की गयी कि सीने में दर्द की वजह सिर्फ हार्ट अटैक ही नहीं, बल्कि कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं, कोरोना संक्रमित मरीजों को फेफड़ों में इंफेक्शन या ज्यादा खांसी की वजह से भी दर्द हो सकता है I पल्मोनरी एम्बोलिज्म होने पर भी चेस्ट पेन हो सकता है, यह एक हार्ट प्रोबलम है जिसमें फेफड़ों तक खून को ले जानी वाली ब्लड वैसेल्स में क्लॉटिंग हो जाती है, जिससे फेफड़ों में सही से खून नहीं पहुंचता और सीने या छाती में दर्द महसूस हो सकता है I अगर सीने में किसी भी तरह का दर्द महसूस हो रहा है तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, चेस्ट पेन में सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है, इसलिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें अपनी पूरी स्थिति बताएं I
डॉ. राजेंद्र प्रसाद (प्रो. एवं विभागाध्यक्ष – एरा मेडिकल कॉलेज) ने चेस्ट सम्बंधित कुछ चुनिन्दा केस के बारे में चिकित्सको को जानकारी दी I डॉ प्रसाद ने आगे बताया कि –“इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन, ब्रेथ ईजी के प्रयास से एक सराहनीय कार्य हैं I यह चिकित्सीय संगोष्ठी पूर्वांचल के चिकित्सको को गंभीर श्वांस के बीमारी के प्रति अपडेट करने में सहायक होगी I विगत कुछ वर्षो में ब्रेथ ईजी व डॉ. एस.के पाठक का चिकित्सीय क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु भारत सरकार के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की मुलाकात एक गौरवपूर्ण बात हैं I” इसके अलावा डॉ. राजेंद्र प्रसाद चेस्ट मेडिसिन के कुछ गोल्डन पॉइंट्स को नए चिकित्सको के सामने विश्लेषण किया और बताया सही समय में सही ईलाज से मरीजों का भला हो सकता हैं जिससे मरीज को कोल्लेप्स होने से बचाया जा सकता हैं I ”
कार्यक्रम के अंत में रेस्पिरेटरी कॉन्क्लेव कांफ्रेंस 2023 के ओर्गैनिज़िंग सेक्रेटरी डॉ. एस.के पाठक ने सभी फैकल्टी को स्मृतिचिन्ह एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया और ऑनलाइन के मध्यम से जुड़े हुए सभी मेडिकल एवं नॉन मेडिकल लोगो को जुड़ने के लिए धन्यवाद किया और बताया –“पिछले एक दशक से ब्रेथ ईजी द्वारा रेस्पिरेटरी कॉन्क्लेव कांफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा हैं, जिससे हजारो चिकित्सक अब तक अपने आप को विभिन्न-विभिन्न विषयों पर अपडेट कर चुके हैं आशा करता हूँ भविष्य में भी हमेशा कुछ नया करता रहूँगा जिससे हम सभी का ज्यादा से ज्यादा भला हो सके I”
कांफ्रेंस का संचालन डा साक्षी पाठक ( आईएमएस बीएचयू) डा स्वप्निल पाठक ( मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली) ने किया।
अंत में डा पाठक हुए सभी चिकित्सको को धन्यवाद एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया ।