आस्था का हिंडोला संगत कर रहा था।
मिर्जापुर(सर्वेश श्रीवास्तव)। माता शीतला के हिंडोले के साथ तादाम्य बनाते आस्था का हिंडोला निकला जिसमें भारी संख्या में मातृशक्ति के रूप में कन्याओं से लेकर वृद्ध महिलाएं शामिल थी।
एक दो तीन चार, मैया जी की जयजयकार
नगर के तिवराने टोला (किसुन प्रसाद की गली) में स्थित छोटी माता मंदिर से ज्येष्ठ शुक्ल, चतुर्दशी को निकले आस्था के हिंडोले में युवा-वर्ग ‘एक दो तीन चार, मैया जी की जय जयकार’ का उद्घोष कर रहा था।
चार बार जयजयकार के मायने
हर मनुष्य पुरुषार्थ चतुष्टय ‘धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, जीवन की चार स्थितियों जन्म, युवा, प्रौढ़ तथा वृद्ध, चार आश्रम ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम तथा संन्यास आश्रम के मार्ग से देवलोक जाता है। चार दिशाएं हैं और साथ ही गर्भ में छठे माह में सन्तान में आत्मा का प्रवेश होता है तथा इसी माह बुद्धि विकसित होती है। इस छठे माह को शामिल कर नौवें माह तक के कुल 4 माह होते हैं। इसलिए 4 बार जयजयकार के निहितार्थ सटीक प्रतीत हो रहे थे ।
6 बड़ा तथा एक छोटा हिंडोला था
सप्ताह के 7 दिनों में 6 दिन क्रियाशील होने के एवज में 6 बड़े हिंडोले थे तो सातवां अवकाश एवं विश्राम के दिन के कारण छोटा हिंडोला था।
मन्दिर के पुजारी
पुजारी श्री रामजी माली तथा उनके पुत्रगण मार्ग में श्रद्धालुओं को प्रसाद तथा आशीर्वाद देते हुए चल रहे थे।
सलिल पाण्डेय, मिर्जापुर।