श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन गरुण पुराण व गुरु शिष्य के कथा का वर्णन

बभनी-सोनभद्र(अरुण पांडेय)। बकरिहवां में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने गरुण पुराण की कथा का श्रवण किया और गुरु शिष्य की महिमा का वर्णन किया गया। श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन सत्य कुमार द्विवेदी संजय द्विवेदी अभय द्विवेदी व उत्कर्षधर द्विवेदी के द्वारा किया जा रहा है श्रीमद्भागवत की यजमान तुलसी कुंवर हैं। कथाव्यास क्षेत्र के कुलगुरु आचार्य श्री ब्रजराज देव पांडेय हैं।

आचार्य ब्रजराज देव पांडेय ने बताया कि गरुण पुराण के अनुसार मनुष्य जब मृत्युलोक में आता है तो उसे अपने किए गए कर्मों का दण्ड अवश्य भुगतना पड़ता है। चौरासी लाख योनियों में जन्म लेने के पश्चात मृत्युलोक में किए गए कर्मों का निर्धारित दण्ड मिलता है बुरे कर्म करने वाली जीवात्माओं को निर्धारित विधानों के अनुसार यमदूतों के द्वारा तमाम तरह की यातनाएं दी जाती हैं। इसके अगले क्रम में कथावाचक परमपूज्य गुरुदेव ने कहा कि गुरु की महिमा का ज्ञान शिष्यों को होना अति आवश्यक होता है आत्मा से परमात्मा का मिलन लोक से परलोक की यात्रा और दुर्गुणों को दुर कर सद्गति प्रदान करने का काम गुरु ही करता है इसलिए जहां माता पिता और गुरु की महिमा मध्यम पड़ जाती है उसके विनाश की उल्टी गिनती प्रारंभ हो जाती है उसके जीवन में होने वाली समस्याओं की पुकार पर ईश्वर भी नजरंदाज कर देते हैं। कथा श्रवण के दौरान नारद मुनि दुबे, सुभाष चन्द्र द्विवेदी, जगविजय दुबे, रामजी दुबे, मुकेश त्रिपाठी, तेजबली राम, अगस्तमुनी शुक्ला, चंद्रिका प्रसाद पाण्डेय, सत्य नारायण द्विवेदी, प्रदीप दुबे, प्रमोद दुबे समेत अन्य मौजूद रहे।

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