क्या एक बार फिर मनरेगा घोटाले की तैयारी में लगा है जनपद सोनभद्र !
सोनभद्र। जनपद के विभिन्न क्षेत्र पंचायतों मे मनरेगा योजनांतर्गत कराए जाने वाले कार्यों में एक बार फिर भ्रष्टाचार की गंध आनी शुरू हो गई है। कुछ विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनपद के कुछ क्षेत्र पंचायतों में मजदूरों के खाते में 2 से 20 दिनों यानि 426 रुपए से लेकर 4,260 रुपए तक बिना मजदूरी के ट्रांसफर किये जाने का प्रकरण प्रकाश में आया हैं। बताया तो यहां तक जाता है कि ऐसे क्षेत्र पंचायतों के खण्ड विकास अधिकारी एवं कार्यक्रम अधिकारी द्वारा प्रधानों और सचिवों पर जबरदस्त दबाव डालकर मस्टरोल निकाल कर उसे जमा कराया जा रहा है।
सूत्र की माने तो इस कार्य के लिए प्रधानों और सचिवों को स्पष्ट आदेश है कि मनरेगा के अवर अभियंताओं से जबरदस्ती इसकी सूची तत्काल एम बी में दर्ज कराकर मस्टरोल जमा कराए जाएं। इतना ही नहीं उन्हें यह भी निर्देशित किया गया है कि जो भी कर्मचारी यथा सचिव ,रोजगार सेवक जेई या प्रधान इसका विरोध करे उसे तत्काल निपटाया जाए। और तो और बिना कार्य कराए जो भी धनराशि मनरेगा मजदूरों के खाते में भेजा जा रहा है उसका 25% हिस्सा मैटेरियल के कमीशन भुगतान की तरह ही खण्ड विकास अधिकारी के पास जमा कराए जाने के चौकानेवाले समाचार मिले है, जिसमें विकास भवन में बैठे उच्चाधिकारियों तक की संलिप्तता बताई जा रही है। सूत्रों की माने तो अधिकारियों द्वारा कहा यह जा रहा है कि जिन मजदूरों ने वित्तीय वर्ष में 80 दिन तक मजदूरी पूरी कर ली है उसे शेष दिनों की मजदूरी देकर अधिक से अधिक 100 दिन की मजदूरी पूरी करने वालों की संख्या ऑन लाइन दिखानी है। इसीलिए ऐसा कराया जा रहा है। वही अब इस कार्य की जानकारी जैसे – जैसे गांवों के अन्य मजदूरों में फैल रही है वो प्रधान , रोजगार सेवक और सचिवों पर खुद के लिए भी होली पर मुफ्त मजदूरी मांगने शुरू कर दिए हैं। कहते तो यहां तक है कि इस तरह के कार्य पूरे जिले में कार्यान्वित हो रहे हैं लेकिन सर्वाधिक दबाव और अनियमितता म्योरपुर जैसे ब्लॉक में सुनने में आ रही हैं। जबकि इस ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी की शासन द्वारा पदोन्नति कर जिले से बाहर स्थानांतरण भी किया जा चुका है। बावजूद इसके वे कुंडली मारकर यहीं बैठे हुए हैं। वही नाम न छापने की शर्त पर कई प्रधानों और सचिवों ने कहा कि सत्यता की जांच के लिए 100 दिन की मजदूरी पूरी करने वाले मास्टरोलों से हुए कार्यो की जांच कराई जा सकती है। अधिकांशतः मस्ट्रोलो में सिर्फ उन्हीं मजदूरों की हाजिरी भरी मिलेगी जो 100 दिन की मजदूरी पूरी कर रहे हैं। कमोबेश 100 दिन की मजदूरी में यही हालात घोरावल, चोपन और कोन विकास खण्ड के भी है। सब मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यदि शासन और उच्च प्रशासन जगा नहीं तो एक बार फिर सोनभद्र जनपद मनरेगा कार्य में भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियां बटोरने में अव्वल साबित होगा! उपरोक्त की ओर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कुछ संवेदनशील प्रबुद्ध जनों ने इसे गंभीरता से लेकर त्वरित जांच कराकर कार्रवाई करने की मांग की है।