
हिंडालको महान ने निगमित सामाजिक दायित्व के तहत 85 किसानों को मशरूम उत्पादन कैसे करे इसके लिये पुरुष व महिला किसान उद्यमियों को मशरूम की खेती करने के लिये प्रोत्साहित किया,साथ ही उन्हें पहली बार उत्पादन के लिये जरूरी सामग्री जैसे मशरूम स्पान,बबस्टीन,फॉर्मलीन और पॉलीबैग उपलब्ध कराये।मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिंडालको महान द्वारा बरैनिया के मंगल भवन में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में घर मे पड़े कृषि अपशिष्ट भूसे के माध्यम से मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिलवाया,यह प्रशिक्षण सिंगरौली क्षेत्र के सफल मशरूम उत्पादक कान्ति प्रसाद वैश्य के माध्यम से कराया, जिसमे गिधेर, मझिगँवा,घिनहा गांव,डगा,बड़ोखर, कनई,बरगंवा, बरहवाटोला,ओड़गड़ी, खेखड़ा के किसानों ने भाग लिया,जिसमे ज्यादातर महिलाये शामिल हुई ,कार्यक्रम में हिंडालको महान के लीगल विभाग से अस्मिता तोपदार,हिंडालको सी.एस.आर.विभाग से बीरेंद्र पाण्डेय के साथ साथ यंग इंजीनियर वैष्णवी व अयान शामिल हुये,कार्यक्रम में अस्मिता तोपदार ने महिलाओं को गृहकार्य के साथ साथ सफल उद्यमी बनने के लिए प्रेरित किया ,कार्यक्रम में सी.एस. आर.विभाग से बीरेंद्र पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश में मशरूम की खेती से कई महिलाओं को तरक्की की राह दिखा रही है। महिलाएं वर्ष भर मशरूम का उत्पादन ले रही हैं। इससे वे अच्छा मुनाफा कमाकर आत्मनिर्भर हो गई हैं। साथ ही कई महिलाएं मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट तैयार कर उत्पादकों को इसकी बिक्री कर रही हैं।कई जगह देश मे साल भर मशरूम की खेती होती है। मिल्की मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त समय जून महीने से सितंबर माह है। बटन मशरूम के लिए अक्तूबर से मार्च और ढिंगरी या ऑस्टर मशरूम की खेती फरवरी से मई तक होती है।आप लोग यह मशरूम किट लेकर जाये और सफल मशरूम उत्पादक बनकर निकले।कार्यक्रम में आये हुये प्रशिक्षणार्थियों को पार्षद अभिलाष सिंह ने मशरुम उत्पादन किट प्रदान किये।कार्यक्रम के सफल आयोजन में देवेश त्रिपाठी,अरविंद बैश्य,नरेंद्र वैश्य,संजीव वैश्य,खलालू,जियालाल का विशेष योगदान रहा ।
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