जिला संयुक्त चिकित्सालय के औचक निरीक्षण में मिली खामियों पर डीएम भड़के

कहां- अस्पताल परिसर में हो बेहतर साफ सफाई, मरीजों का किया जाए बेहतर इलाज

स्वास्थ्य विभाग के अवर अभियंता को किया निलंबित

एंबुलेंस के रखरखाव व व्यवस्था में खामी पाए जाने पर प्रबंधक के विरुद्ध एफ आई आर कराने का दिया निर्देश

सोनभद्र(सर्वेश कुमार)। जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने 100 शैय्या शिशु स्वास्थ्य विंग एवं जिला संयुक्त चिकित्सालय लोढ़ी का सोमवार को औचक निरीक्षण किया। शिशु स्वास्थ्य विंग के निरीक्षण के दौरान शिशुओं के स्वास्थ्य सुविधा व उनकी देख-रेख, एम्बुलेंस सेवा के रजिस्टर को डीएम ने देखा और एम्बुलेंस के रोस्टर से मिलान किया तो यह तथ्य सामने आया कि एम्बुलेंस का संचालन ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा है और मातृत्व शिशु के डिलेवरी जैसे केसों में शिथिलता बरती जा रही है। शिशुओं के देख-रेख की समुचित व्यवस्था नहीं पायी गयी, जिलाधिकारी ने जायजा लिया तो मैनेजर द्वारा अपने पदीय दायित्वों का ठीक ढंग से निर्वहन न किया जाना पाया गया। स्वास्थ्य जैसे जरूरी कार्य में शिथिलता व लापरवाही किए जाने, मैनेजर द्वारा मैनेजमेन्ट ठीक ढंग से न किये जाने पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं से महत्वपूर्ण कार्य में शिथिलता बरतने पर मैनेजर के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए। प्रसव कक्ष के निरीक्षण के दौरान पाया कि अस्पताल में माताओं व शिशुओं के तीमारदारों को बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं है, जिस पर उन्होंने सम्बन्धित को आवश्यक प्रबन्ध करने के निर्देश दिए। इस दौरान जिलाधिकारी ने जब प्रसुति महिलाओं को दी जा रही स्वास्थ्य सुविधा की जानकारी ली तो, पता चला कि प्रसुति महिलाओं को एक दिन में दो बार के बजाय एक ही बार देख-भाल/स्वास्थ्य परीक्षण की जाती है, इसके लिए सम्बन्धित को निर्देशित किया गया कि अपने कार्यों में सुधार लाये अन्यथा की दशा में जिम्मेदारी तय करते हुए आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने ड्यूटी में लगे चिकित्सक, नर्स, वार्ड ब्याव के ड्यूटी लिस्ट से मिलान कर जानकारी ली तो गार्ड राजीव पाण्डेय, प्रसन्न देव पाण्डेय अनुपस्थित पाये गये, जिसे सम्बन्धित अधिकारी को स्पष्टीकरण प्राप्त करने हेतु मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया। इसी प्रकार से जिला संयुक्त चिकित्सालय लोढ़ी के औचक निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने नेत्र चिकित्सा कक्ष को देखा और उनको दी जा रही स्वास्थ्य सुविधा का जायजा लिया और नेत्र मरीजों से वार्ता कर आवश्यक जानकारी प्राप्त की। जिलाधिकारी ने इमरजेंसी कक्ष का निरीक्षण किया, तो एक मरीज द्वारा बताया गया कि मेरा पैर टूट गया है, जो ईलाज कर प्लास्टर बांधा गया, किन्तु प्लास्टर काटने के लिए पैसा मांगा जाता है, जिस पर जिलाधिकारी ने सम्बन्धित डाॅक्टर को बुलवाकर मरीज के इस कथन की पुष्टि की, तो मामला सहीं पाया गया, जिस पर सम्बन्धित डाॅक्टर से पैसा मरीज को वापस कराया गया और इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही के लिए सीएमओ को निर्देशित किया गया। इस दौरान जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि अस्पताल परिसर में साफ-सफाई के साथ ही बेहतर व्यवस्था का प्रबन्ध किया जाये, इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाये। इसी प्रकार से अस्पताल में एक महिला मरीज ने डाॅक्टर द्वारा अस्पताल से बाहर की दवाओं को लिखने की शिकायत की गयी, जिस पर जिलाधिकारी ने सम्बन्धित फार्मासिस्ट के खिलाफ चार्जशीट तैयार कराने के निर्देश सम्बन्धित को दिये और सीएमओ से जानकारी प्राप्त की और निर्देशित करते हुए कहा कि मरीजों को अस्पताल से ही दवाएं उपलब्ध कराये जाये, उन्हें बाहर की दवाओं को कदापि न लिखा जाये अन्यथा की दशा में कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। डीएमएफ फण्ड से अस्पताल में कराये गये गये कार्यों का निरीक्षण किया, तो यह तथ्य सामने आया कि जिस कार्य के लिए डीएमएफ की धनराशि खर्च किया जाना था, उस कार्य में धनराशि खर्च होना नहीं पाया गया, जिस पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग के अवर अभियन्ता को निलम्बित करने के निर्देश दिये। इस मौके पर सीएमओ, सीएमएस, डाॅक्टर, स्टाफ नर्स, डीएम स्टेनों राम आधार सहित अन्य सम्बन्धितगण उपस्थित रहें।

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