-भागवत कथा पंडाल में रही भक्तों की भीड़, कथा के आधार पर सजी झांकियां रही आकर्षण का मुख्य केंद्र
सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। नगर स्थित आर्य समाज मंदिर प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक विष्णु प्रिया शास्त्री ने शुकदेव जन्म, परीक्षत श्राप और अमर कथा का वर्णन किया। कथा सुन पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा का वाचन करते हुए शास्त्री जी ने सुखदेव जी का जन्म भी एक रहस्य है बताया उन्होंने कहा जब भगवान शिव पार्वती मां को अमर होने की कथा सुनाने लगे, तो पार्वती माता हुंकारे भरती हैं। तभी भगवान शिव ने देखा की एक तोता वहां बैठा है, जो हुंकारे भर रहा था। भगवान शिव को क्रोध आ गया और बोले
की तूने मेरी बिना आज्ञा के अमर कथा का पान किया है। मैं तुझे जीवित नहीं छोडूंगा। भगवान शिव त्रिशूल लेकर उसके पीछे दौड़े। शुक यानि तोता जान बचाने के लिए तीनों लोकों में भागता रहा। वह वेदव्यास जी के आश्रम पहुंचा। वहां पर वेदव्यास जी की पत्नी बाहर कपड़े सूखा रही थीं। उन्हें जभाई आ गई तो तोता सूक्ष्म बनकर उनकी पत्नी के मुख में घुस गया। वह उनके गर्भ में रह गया। भगवान शिव वहां आए और बोले कि मैं इस शुक को जीवित नहीं छोडूंगा। व्यास जी के पूछने पर सारी बात शिव ने बताई। व्यास जी बोले वह अब
अमर हो चुका है आप उसे कैसे मार सकते हैं। आप दयावान हैं। आप उसे क्षमा कीजिए। व्यास जी के अनुरोध पर भगवान शिव का गुस्सा शांत हुआ। व्यास जी की पत्नी के गर्भ में शुकदेव जी को 12 वर्ष हो गए, लेकिन बाहर नहीं निकले। क्योंकि उन्हें डर था अगर मैं संसार में आया तो भगवान की माया के चपेट में आ जाऊंगा। कथा व्यास विष्णु प्रिया शास्त्री ने कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रेरणा दी कि हमें भी राग-द्वेष को त्याग कर भगवान की भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए तब कहीं जाकर हमें मुक्ति प्राप्त हो सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रभु प्राप्ति के लिए सच्चे मन से स्मरण करना ही काफी है। वही कथा के प्रसंग के अनुसार सुंदर झांकी भी सजाई गई जिसमें नारद मुनि का वेश ज्ञानेश जी, भगवान श्रीकृष्ण, विदुर रानी, शिव पार्वती तथा अर्जुन की वेश में सजी शिवानी पांडे, शिवांगी और श्रेया केसरी ने वहां उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। दूसरे दिन की कथा का समापन मुख्य यजमान रतन लाल गर्ग और उनकी धर्मपत्नी अनारकली देवी के व्यासपीठ और श्रीमद् भागवत कथा पुराण की पूजन आरती के साथ किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से यज्ञाचार्य सौरभ कुमार भारद्वाज, कथा संयोजक नरेंद्र गर्ग, कृष्ण कुमार, विनोद, सुशील पाठक, कृष्ण मुरारी गुप्ता, शिशु त्रिपाठी, दीपक कुमार केसरवानी, अनीता गर्ग मंजू, रेनू, प्रतिभा देवी, सहित अन्य श्रद्धालु गढ़ भारी संख्या में उपस्थित हैं।