सियासत की बिसात पर बिछ रहे मुहरें !

एक नजर में नगर पालिका परिषद सोनभद्र!

भोलानाथ मिश्र/सर्वेश श्रीवास्तव

सोनभद्र । जनपद की इकलौती नगर पालिका परिषद राबर्ट्सगंज का चुनावी इतिहास लोकतान्त्रिक मूल्यों के
कसौटी पर समीक्षकों की दृष्टि में सदैव पारदर्शी, निष्पक्ष और मानकों पर खरा उतरता आया है। कभी टॉड के डौर के नाम से पहचाना जाने वाला गाँव अब नगर पालिका परिषद बनकर नगर निगम का दर्जा पाने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है । ज्ञातव्य हो कि जिले के इस हृदय स्थल को 1928 में टाउन एरिया का दर्जा मिला था। अंग्रेजी हुकूमत में तहसीलदार रहे मिस्टर राबर्टसन के नाम पर बनी राबर्ट्सगंज टाउन एरिया
के पहले निर्वाचित चेयरमैन बद्रीनारायण थे । स्वाधीनता
संग्राम सेनानी रहे बलराम दास गुप्त उर्फ बल्लम साहु दूसरे चेयरमैन चुने गये थे । भोला सेठ पहली बार जनसंघ के समर्थन से तीसरे चेयर मैन निर्वाचित हुये थे । श्याम सुंदर झुन झुन
वाला उर्फ श्यामा चेयर मैन कांग्रेस के समर्थन से चौथे चेयर मैन चुने गये थे।

पूर्व चेयरमैन अजय शेखर जी

साहित्यकार अजय शेखर जी नगर के व्यापक समर्थन
से चेयर मैन बने थे । अपर भेलाही पेयजल परियोजना ,
भेलाही बंधी उच्चीकरण , नगरपालिका भवन , निराला
पार्क , निराला लाइब्रेरी समेत अन्य कार्य समाजवादी विचारक अजय शेखर जी के कार्यकाल की ऐसी उपलब्धियां हैं जिसे कभी भुलाया नही जा सकता । निर्दल प्रत्याशी के रूप में उगता सूरज चुनाव चिन्ह से बीजेपी के कद्दावर नेता जितेंद्र सिंह पार्टी के अधिकृत प्रत्यासी राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल उर्फ राजन जी को पराजित कर राजनीतिक दलों को भौचक कर दिये थे। बताया जाता है उस समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे वर्तमान में राज्य सभा सदस्य रामसकल का जितेंद्र सिंह की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान था। प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के कार्यकाल में ‘त्रिस्तरीय- पंचायत’ अधिनियम विधेयक पास हुआ तो नगर पालिका नगर पालिका परिषद के रूप में तब्दील हो गयी । नगर पालिका परिषद का चुनाव हुआ तो मधुरिमा साहित्य गोष्ठी के संस्थापक निदेशक अजय शेखर अध्यक्ष निर्वाचित हो गये । उनकी लोक प्रियता के आगे राजनीतिक दलों के प्रत्यासी पराजित हो गये थे । अगले चुनाव में जितेंद्र सिंह की जीवन संगिनी निशा सिंह पहली महिला नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष चुनी गयी। बीजेपी के समर्थन के अलावा उन्हें अपने पति की लोकप्रियता का लाभ मिला

पूर्व चेयरमैन विजय जैन जी

था। अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी के समर्थन से प्रखर व्यवसाय विजय जैन अध्यक्ष चुने गये थे । उसके बाद हुए

पूर्व चेयरमैन कृष्ण मुरारी गुप्ता जी

चुनाव में बीजेपी के कृष्ण मुरारी गुप्त को सफलता मिली और वे अध्यक्ष चुने गये थे । बीजेपी के ही निवर्तमान अध्यक्ष विरेन्द्र

वर्तमान चेयरमैन वीरेंद्र जयसवाल

कुमार जायसवाल उर्फ बिंदू जी कांटे के टक्कर में चुनाव जीते थे । अब 2022 में आज़ादी के 76 साल में नगर पालिका परिषद का न केवल क्षेत्रफल बढ़ गया है बल्कि मतदाताओं की संख्या भी अधिक हो गयी है । अभी तक सीटों के आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने से टिकटार्थियों की सक्रियता सड़क पर आम जन में भले ही नजर नही आ रही है, लेकिन अपने अपने हाई कमानों की गणेश परिक्रमा टिकट चाहने वाले करने लगे हैं। इस समय नगर पालिका परिषद प्रशासक के अधीन हैं ।


प्रमुख समस्याएं
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नगर क्षेत्र के सभी वार्डो में पेयजल को लेकर मार्च माह
से लगायत जुलाई, अगस्त में भरपूर बरसात होने तक पेयजल की समस्या बनी रहती है । धंधरौल बंधे से भेलाही बंधे तक तथा पानी की टँकी तक की कठिनाइयों के कारण पीने के पानी की किल्लत से निजात पाने के लिए किसी पायलट परियोजना की जरूरत न जाने कब से महसूस की जा रही है। इतना ही नहीं जिला मुख्यालय की दर्जन भर विथिकाएँ बरसात के दौरान ताल तलैया बन जाती हैं । चण्डी तिराहे से लेकर मेंन चौक के पहले केडिया के बगीचे तक और पिपरी रोड से स्वर्णजयंती चौराहा और धर्मशाला से लेकर मेन चौक के पहले पहलवान बाबा मुहल्ले तक गन्दी नाली का पानी उफनकर कुछ देर के लिए आवागमन को बाधित कर देता है।
बिजली कटौती सभी के लिए परेशानियों का कारण बनी रहती है । नजूल की जमीन और भौमिक अधिकार से सम्बंधित विवादों के निस्तारण में नगर की खतौनी,खसरा, इंद्राज समेत पुराने नक्शे के अभाव में जमीन की पुरानी नवैयत स्पष्ट करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण , लाल फीताशाही , इंस्पेक्टर राज , जी एस टी ,अतिक्रमण , छः लेंन की प्रस्तावित सड़क को लेकर आशंका , ओवर ब्रिज से परेशानी ,गंदगी , जल जमाव , गंदे पानी का निस्तारण , कूड़े के डम्प की व्यवस्था का आभाव , पार्किंग समस्या , अवैध कब्जे आदि समस्याएं अपने निस्तारण की बाट जोह रही हैं। आगामी निर्वाचित होने वाले चेयरमैन के सम्मुख उपरोक्त समस्याएं मुंह बाए खड़ी है। इन्हीं सब जन समस्याओं को लेकर मतदाता भी इस बार के नगर निकाय चुनाव में अपने अमूल्य मत का प्रयोग सक्षम व सुयोग्य प्रत्याशी के पक्ष में करने हेतु अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत करते देखे जा रहे हैं ।

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