गुर्गों से मिलने के लिए तरस जाएंगे अब कुख्यात अपराधी

बाहर की दुनिया होगी सपना, पेशी और ट्रायल सब जेल के अंदर

संजय द्विवेदी/सर्वेश कुमार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी अब जेल के बाहर की दुनिया देखने के लिए तरस जाएंगे।पेशी के दौरान लोगों को धमकाने से लेकर अपने गुर्गों से मिलने की कहानी अब इनकी खत्म हो जाएगी।योगी सरकार ने अपराधियों की पेशी से लेकर ट्रायल तक जेल में ही कराए जाने को लेकर प्रयास तेज कर दिया हैं।इससे माफिया मुख्तार अंसारी,सुंदर भाटी समेत अन्य कुख्यात अपराधियों के लिए बाहर की दुनिया देखना अब सपना हो जाएगी।

72 जेल और 73 कोर्ट में बनाए जाएंगे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष

बीते दिनों एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वर्तमान समय में जेल में बंद अपराधियों की पेशी और ट्रायल को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कराने के लिए प्रदेश की 72 जेल और 73 कोर्ट में एक-एक अतिरिक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष के निर्माण की जरूरत है।ऐसे में इनका जल्द से जल्द निर्माण कराया जाए।

सीएम योगी ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग की कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए 5जी टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाए, ताकि पेशी और ट्रायल के दौरान कनेक्टिविटी में कोई दिक्कत न आए। सीएम ने कहा कि इसके लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम के लिए अलग से बजट आवंटित किया जाए, जिससे सिस्टम को समय-समय पर अपग्रेड किया जा सके।

जेल प्रशासन ने शासन को लिखा था पत्र

उत्तर प्रदेश में कुल 72 जेल ऑपरेशनल हैं।जिसमें 62 जिला जेल, 7 सेंट्रल जेल, एक-एक नारी बंदी निकेतन,आदर्श कारागार और किशोर सदन हैं।इनमें बंद विचाराधीन कैदियों की पेशी और ट्रायल प्रदेश की 73 कोर्ट में होती है।वर्तमान में सभी जेल और कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी के लिए एक-एक कक्ष हैं,लेकिन वर्तमान में बंदियों की संख्या अधिक होने से पूरा दिन इनकी पेशी में ही बीत जाता है।ऐसे में शासन को प्रदेश की सभी जेलों और कोर्ट में एक-एक अतिरिक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष के निर्माण के लिए पत्र लिखा गया था।वर्तमान में वीडियो कांफ्रेंसिंग से केवल पेशी ही होती है।ऐसे में सभी कैदियों का ट्रायल वीडियो कांफ्रेंसिंग से कराने की अनुमति मांगी गई थी।इस पर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुहर लगाते हुए जेल और कोर्ट में एक-एक अतिरिक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष के निर्माण के निर्देश दिए हैं।

कैदियों की पेशी में नहीं आएगी कोई दिक्कत

डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि कैदियों की शत-प्रतिशत पेशी और ट्रायल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होने से अपराधी के फरार होने की घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लगेगा। साथ ही दुर्दांत कैदियों द्वारा पेशी के दौरान लोगों को धमकाने, मोबाइल से परिजनों से बात करने और अपने गुर्गों के साथ अपराध को अंजाम देने के लिए साजिश रचने जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी।

अपराधियों के नाकाम होंगे मंसूबे

आपको बता दें कि दुर्दांत अपराधियों की कोर्ट में पेशी कराने पर काफी खर्चा आता है।अपराधियों की सुरक्षा के लिहाज से मैनपॉवर भी काफी लगानी पड़ती है।वहीं पेशी के दौरान अपराधी अपने गुर्गों से मुलाकात करते हैं और अपराध को अंजाम देने के लिए साजिश रचते हैं।ऐसे में अपराधियों की पेशी और ट्रायल वीडियो कांफ्रेंसिंग से होने पर इस पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।

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