संजय सिंह/ दिनेश गुप्ता
चुर्क-सोनभद्र। चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा का महापर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया गया। छठ पर्व के आखिरी दिन सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व संपन्न हो गया। देश भर के घाटों पर श्रद्धालुओं ने सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिला। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सभी श्रद्धालु घाटों से अपने घरों की तरफ लौट गए कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमि तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आस्था और संस्कार के पर्व छठ का
समापन होता है। उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए आज (सोमवार) तड़के से ही छठ घाटों पर लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई कुछ महिलाएं पुरी रात छठ घाट पर ही बिताया चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में दो बार सूर्य का अर्घ्य दिया जाता है। पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिन डूबते सूर्य को
दिया जाता है, जबकि दूसरा अर्घ्य सप्तमी तिथि को उदय होने वाले भगवान भास्कर को दिया जाता है। रौप सहिजन खुर्द चुर्क शिव मंदिर तालाब पर बने छठ घाटों के पानी में उतरकर महिलाओं ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के तीसरे दिन यानी कि रविवार को श्रद्धालुओं द्वारा डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। नदियों के किनारे आस्था के सैलाब में डूबे नजर आए, लोग भक्ति भाव में डूबकर छठ का महापर्व मनाते हुए नजर आए। यह एक ऐसा पर्व में जिसमें उगते सूरज के साथ-साथ डूबते सूरज की भी पूजा की जाती है जिस तरह डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर भक्तों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
इसी प्रकार सुबह होते ही भगवान भास्कर की पूजा अर्चना के लिए लोग घाटों पर मौजूद थे। घाटों के किनारे आस्था का रंग और छठ का छटा दिखाई दी सप्तमी तिथि के दिन छठ घाट पर पानी में खड़े होकर श्रद्धालुओं द्वारा उगते हुए सूर्य को जल दिया जाता है अपनी मनोकामनाओं के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है। इस बार एकतीस अक्टूबर यानी सोमवार को उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया गया, जिसके साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया। लोग घाटों पर सूर्य की तरफ हाथ जोड़कर अर्घ्य देते नजर आए। श्रद्धालुओं द्वारा उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व समाप्त होता है और इसके बाद छठ का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। व्रतियों ने गन्ने के बीच में मिट्टी के हाथी जो भगवान गणेश के रूप में होते हैं व कलशी रखा, गन्ने के पास मिट्टी के बर्तन में प्रसाद रखकर दीप जलाया और इसके साथ ही व्रत और उपवास संपन्न होता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पर्व प्रारंभ हुआ था। वहीं, शुक्ल पक्ष की पंचमी खरना का विधान किया गया था। खरना की शाम को गुड़ वाली खीर का विशेष प्रसाद बनाकर छठ माता और सूर्य देव की पूजा के साथ व्रत रखा गया था। इसके बाद षष्ठी तिथि के पूरे दिन निर्जल रहकर शाम के समय अस्त होते सूर्य को नदी या तालाब में खड़े होकर अर्घ्य दिया गया और सूर्य उदय के साथ छठ पर्व का समापन हो गया वहीं छठ घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था हेतु रात भर पुलिस फोर्स लगी रही तथा रात भर चुर्क चौकी प्रभारी जितेन्द्र कुमार मय फोर्स हे० का० विरेन्द्र यादव, का० गौरव सिंह, का० अवनीश यादव, का० संजय मिश्रा,का० कार्तिके,का० संजय बिंद के साथ सभी छठ घाटों पर खुद चक्रमण करते रहे।