संजय सिंह/ दिनेश गुप्ता
चुर्क-सोनभद्र। कार्तिक छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानी रविवार को की संध्या पहर में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की पूजा संपन्न हुई। व्रती महिलाओं ने रौप ,सहिजन खुर्द चुर्क शिव मंदिर तालाब छठ घाट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। व्रती महिला-पुरुष ने स्नान-ध्यान कर पीला व लाल वस्त्र धारण कर पूरी पवित्रता के साथ हाथों में बांस की सूपली में ऋतु फल, पकवान, ईख, नारियल, कलश रखकर डूबते हुए सूर्य अर्घ्य
दान किया।इस अवसर पर नदी, नहर, सरोवर तटों पर मेले जैसा माहौल रहा। व्रती महिलाओं ने घुटनों तक जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अर्घ्य देकर नमन किया। सरोवर तट के चारों ओर भव्य सजावट की गई तालाब में खड़ी होकर अर्घ्य देने वाली महिलाओं को गहरे जल से सुरक्षित जगह के लिए तालाब में चारों तरफ बांस बल्लियों से बेरिकेडिंग किया गया था सायं चार बजे से ही पूजा की डाली लेकर व्रती महिलाएं और उनके परिवारों के सदस्य सरोवर तट पर पहुंचने लगे। व्रती महिलाएं ठंड के बावजूद सरोवर के जल में उतर गईं। उन्होंने घुटनों तक जल में काफी देर तक खड़े रहकर अपना अनुष्ठान पूर्ण किया घाटों पर ही बनी बेदी पर विधि-विधान से पूजन कर छठ मैया को मिठाई, फल, फूल,
मौसमी सब्जियां तथा घरों पर पूरी शुद्धता से तैयार किए गए पकवान समर्पित करके अपने परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना की अर्घ्यदान को ले व्रतियों ने रौप सहिजन खुर्द चुर्क शिव मंदिर तालाब में ही हर साल की तरह इस साल भी छठ घाट बनाया था। व्रती व उनके स्वजन अस्ताचलगामी सूर्य की पूजा अर्चना करने के बाद आंगन एवं छत पर मिट्टी के कोशी को छठी के रूप में पूजा किए सोमवार की सुबह व्रती महिलाएं उदित सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी। इसके साथ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास खत्म हो जाएगा और वे पारण करेंगी। साल में छह महीने के अंतराल पर कार्तिक और चैत मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर होने वाले छठ पर्व का सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। भविष्य पुराण के अनुसार छठ पर्व लौकिक और परलौकिक दोनों ही जीवन को सुख देने वाला है। इस पर्व से मृत्यु के बाद भी सूर्य लोक में स्थान प्राप्त होता है और वहां जीवात्मा को सुख की प्राप्ति होती है छठ घाट पर महिलाओं की सुरक्षा हेतु पर्याप्त मात्रा में पुलिस फोर्स लगाई गई थी तथा चुर्क चौकी प्रभारी जितेन्द्र कुमार सभी घाटों पर खुद चक्रमण करते रहे ताकि महिलाओं की सुरक्षा में कोई चुक न हो।