ओम प्रकाश रावत
विंढमगंज सोनभद्र। स्वच्छ भारत अभियान के तहत आए दिन गांवों में सफाई अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन इस योजना का लाभ स्थायी तौर पर जनता को नहीं मिल पा रहा है। अधिकारी सिर्फ औपचारिता में शासन के नियमों का पालन करते देखे जा रहे हैं। बाजार में ही नहीं गांवों में भी जगह जगह गंदगी पसरी हुई है।जब पलास्टीक पुरी तरह से बंद है तो रोजाना सड़क किनारे दिखेंगे पॉलिथीन प्लास्टिक सफाई अभियान का मूल उद्देश्य क्या था। इस अभियान के जरिये मात्र एक दिन की सफाई करनी नहीं थी, बल्कि इस अभियान के
जरिए लोगों को प्रेरित करना था कि वे अपने आसपास को साफ रखें और समय समय पर सामूहिक भावना के साथ सार्वजनिक स्थानों की सफाई करते रहे। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वे योजना का प्रचार प्रसार करें लेकिन ग्रामीणों को ये भी नहीं बताया गया। सिर्फ एक दिन कार्यक्र कर खाना पूर्ति कर दी जाती है । यही वजह है कि सिर्फ सफाई के दौरान भी ग्रामीणों की सहभागिता नजर नहीं आती। अभी कई जगहों में में अधिकारी फोटो खिंचवाने के लिए थोडी देर के लिए झाड़ूलेकर पकड कर सड़क पर नजर आये है ।उसके बाद किसी को कोई मतलब नहीं विंढमगंज बाजार के शुलभ शौचालय के बगल में भारी गंदगी पसरी हुई है। जिसे जिम्मेदारियों को दिखाई तो देती है मगर इसे हटाने का प्रयास नहीं करते गली चौराहों पर भी नजर आती है गंदगी, नाले का गंदा पानी, कीचड़ युक्त सड़क, नालियां का गंदे पानी सड़क पर बहता रहता है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशक दवाओं के छिड़काव को लेकर स्वास्थ्य विभाग व ग्रामीण शाशन प्रशासन ने भी आंखें बंद कर रखी है। मच्छर की बढ़ती संख्या का आलम है कि रात नहीं, दिन में भी इसका प्रकोप जारी रहता है। वहीं संध्या होते ही लोगों का किसी स्थान पर बैठना मुश्किल हो जाता है। घर हो या दुकान, हर जगह मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। अवसादी प्रशासन ध्यान नहीं देते कि डीडीटी का छिड़काव भी किया जाए!