संजय सिंह/ दिनेश गुप्ता
चुर्क नगर पंचायत में पिछले माह सितम्बर में खुलने वाले टेंडर को अपनी चहेती फार्म को देने के लिए नियम को ठेंगा दिखाते हुए एक महीने से अधिक समय से टेक्निकल विड खोलने के बाद फाइनेंशियल बिड को न खोल कर टेंडर को होल्ड कर दिया गया है। चुर्क गुर्मा नगर पंचायत में पंजीकृत कुछ ठेकेदारों ने बताया कि उक्त नगर पंचायत में लगातार टेंडर निकालकर नियमों को ताक पर रखकर अपनी चहेती कुछ फर्मों को काम देने के लिए टेंडर को पेंडिंग रखा जा रहा है। कुछ ठेकेदारों ने बताया कि।यह सब कुछ अपनी चहेती फर्म को काम देने के लिए किया जा रहा है। वहीं नगर पंचायत में पंजीकृत ठेकेदारों ने टेंडर को पेंडिंग रखने का कारण कमीशनखोरी बताया
यहाँ आपको बताते चलें कि तीन योजनाओं से निकाले गए टेंडर जिसमे पंडित दीन दयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत योजना से लगभग दो करोड़ के काम कराए जाने हेतु पिछले माह ही टेंडर तो खोल दिया गया पर उक्त टेंडर को लेने के लिए जिन भी फर्मों ने निविदाएं डाली हैं उनका अभी तक फाइनेंशियल बिड को न खोलकर टेंडर प्रक्रिया को होल्ड पर रखा गया है ।इसी तरह से एम आर एफ़ सेंटर की स्थापना के लिए निकाले गए लगभग 36 लाख के टेंडर की भी फाइनेंशियल बिड को न खोलकर होल्ड कर लिया गया है।यहां आपको यह भी बताते चलें कि उक्त दोनों ही टेंडर को तीसरी बार निकाला गया है।इसके पूर्व में दो बार टेंडर निकालने के बाद उसे अपरिहार्य कारणों से रद्द किया जा चुका है कुछ ठेकेदारों ने बताया कि उक्त दोनों बार भी अपनी चहेती फर्म को काम देने के लिए ही टेंडर को निरस्त किया गया।नियमानुसार यदि कोई टेंडर दो बार निकालने के बाद तीसरी बार निकाला गया है तो यदि एक भी बेंडर आये तो उसे टेंडर जारी किया जा सकता है,परन्तु यहां तो तीसरी बार टेंडर निकालने के बाद भी लगता है अपनी चहेती फर्म को काम देने के लिए उसकी कम्पटीटर फर्म को किसी भी तरह से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए टेक्निकल बिड के सहारे ही रास्ता खोजने के लिए ही महीनों तक टेंडर को होल्ड करके रखा जा रहा है। जबकि इसके लिए विधिवत नियम एवं शासनादेश है कि टेक्निकल बिड खुलने व उसके परीक्षण के लिए कितना समय होगा बावजूद इसके जिम्मदारों द्वारा व्यस्तता के बहाने टेंडर प्रक्रिया को होल्ड किया जा रहा है इसी तरह से एम आर एफ़ सेंटर की स्थापना के लिए निकाले गए लगभग 36 लाख के टेंडर की भी फाइनेंशियल बिड को न खोलकर होल्ड कर लिया गया है जिम्मदारों की व्यस्तता के बहाने पर कुछ ठेकेदारों ने कहा कि बड़े काम का टेंडर तो पिछले 5 सितम्बर से होल्ड पर है जबकि कुछ टेंडर जो कि 1 अक्टूबर को टेक्निकल बीड खोली गई थी उनकी दस दिनों के अंदर ही फाइनेंशियल बिड खोलकर टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गयी फिर जिन टेंडरों की टेक्निकल बिड उसके पहले खोली गई हैं उनकी फाइनेंशियल बिड को अब तक क्यूँ नहीं खोला जा रहा है ? इससे ही नगर पंचायत की मंशा सवालों के घेरे में अवश्य ही है।नगर पंचायत की कार्य प्रणाली पर लगाये जा रहे तमाम गम्भीर आरोप कि मनचाहे फर्मों को काम देने के लिए ही यह खेल खेला जा रहा है ठेकेदारों द्वारा लगाए गए आरोप का जबाब जानने के लिए ईओ नगर पंचायत चुर्क सुनील कुमार से जब उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उनका कहना था कि कमीशनखोरी की कोई बात नहीं है तथा नहीं चहेतों को काम देने की बात है जिनका रेट कम रहेगा उनको काम दिया जाएगा कतिपय कारणों के चलते टेंडर प्रक्रिया में विलंब अवश्य हुआ है वहीं दो तीन दिन में टेंडर प्रक्रिया को फ़ाइनल रूप दे दिया जायेगा नगर पंचायत पर गम्भीर आरोप लगाते हुए नगर पंचायत चुर्क के पंजीकृत ठेकेदार मेसर्स जयप्रकाश यादव के प्रोपराइटर जेपी यादव ने बताया कि नगर पंचायत अध्यक्ष अपने मनपसंद ठेकेदारों को काम देने के लिए टेंडर प्रक्रिया को होल्ड कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि नगर पंचायत में पंजीकृत ठेकेदार होने के बावजूद उनकी फर्म में0 जेपी को टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है।जब ईओ से इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने इसका कारण बताया कि मेसर्स जयप्रकाश यादव की फर्म को मुकदमा के चलते टेंडर प्रक्रिया से दूर रखा गया है। में0 जे पी के प्रोपराइटर ने कहा कि उनकी फर्म को यह कहकर काम नहीं दिया जा रहा कि उक्त फर्म ने नगर पंचायत पर मुकदमा कर रखा है जबकि उच्चाधिकारियों द्वारा ब्लैक लिस्ट करने के आदेश वाली फर्म को ब्लैक लिस्ट न करके लगातार टेंडर जारी किया जा रहा है। उक्त आरोप के बाबत सवाल पूछने पर ईओ ने हामी भरते हुए जवाब दिया कि हां काम दिया जा रहा है। परन्तु उक्त फर्म को ब्लैक लिस्टेड की कार्यवाही में फिलहाल पत्राचार किया जा रहा है फिलहाल अंधेर गर्दी चौपट राजा की कहावत नगर पंचायत चुर्क पर सटीक बैठ रही है। ठेकेदार जेपी यादव का कहना है कि सूचनाधिकार पत्र के माध्यम से मैंने नगर पंचायत चुर्क से सवाल किया है कि आखिर किस शासनादेश के तहत मुझे नगर पंचायत के टेंडर से वंचित किया गया ? यदि कोई ऐसा शासनादेश हो कि जो फर्म किसी कार्यदायी संस्था पर अपने पूर्व के किसी कार्य के भुगतान के लिए अदालत गयी है तो उसे काम न दिया जाय तो उक्त शासनादेश की प्रति उपलब्ध कराई जाय। उनके उक्त सवाल पर नगरपंचायत द्वारा उन्हें जवाब दिया गया है कि कोई ऐसा आदेश हमारे कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। फिर सवाल उठता है कि उक्त ठेकेदार को टेंडर प्रक्रिया में भाग लेकर कार्य से वंचित क्यूँ किया जा रहा ?