- प्रत्येक पर साढ़े ग्यारह हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
सोनभद्र। साढ़े नौ वर्ष पूर्व हुए संतोष हत्याकांड के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय राहुल मिश्रा की अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर चार दोषियों को 10-10 वर्ष की कैद व प्रत्येक पर साढ़े ग्यारह हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं अर्थदंड न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक जुगैल थाने में दी तहरीर में थाना क्षेत्र के नेवारी गांव निवासी देवराज पुत्र महरु ने अवगत कराया था कि महम नेवारी गांव निवासी राकेश उर्फ भददु, श्यामलाल, बृजलाल उर्फ बिल्ला व हँसलाल उर्फ कल्लू उसके पट्टीदार हैं। हम पट्टीदारों के बीच बंटवारा भी हो चुका है। हमारे हिस्से में चिलबिल का पेड़ भी है।जिसे छोटा बेटा काट रहा था तो सभी पूछने लगे कि क्यों काट रहे हो। जब बेटे ने कहा कि इसे दूसरे जगह लगाया जाएगा। इसी बात को लेकर छोटे, संतोष व बहु शांति देवी को लाठी डंडे से मारने पीटने लगे। शोरगुल की आवाज सुनकर उसके गांव घर व आसपास के तमाम लोग आ गए तब जान बची। किंतु दवा इलाज के दौरान 12 अप्रैल को संतोष की मौत हो गई। इस तहरीर पर जुगैल पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया और पुलिस विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत पाए जाने पर विवेचक ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषियों राकेश उर्फ भददु, श्यामलाल, वृजराज उर्फ बिल्ला व हंसराज उर्फ कल्लू को 10-10 वर्ष की कैद व प्रत्येक को साढ़े ग्यारह हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं अर्थदंड न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी विजय यादव ने बहस की।