सोनभद्र।सोनभद्र जिला संयुक्त चिकित्सालय के लिपिक धर्मेश कुमार का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन एवं 9वी बार की गई जांच में शिकायतें निराधार होने के बावजूद बार-बार शिकायत दलित कर्मचारी के साथ जातिगत दुर्भावना से किया जा रहा है । उक्त बातें अधिवक्ता विकाश शाक्य ने धर्मेश बाबू के विरुद्ध जन अधिकार पार्टी के भागीरथी मौर्य के द्वारा बनावटी शिकायती प्रार्थना पत्र के आधार पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कही।
श्री शाक्य ने कहा कि सीएमएस कार्यालय में सेवारत धर्मेश बाबू अनुसूचित जाति के हैं इनकी नियुक्ति 1991 में हुई थी तब से आज तक लगातार कथित जनप्रतिनिधियों,कई संस्थानों द्वारा शिकायत की गयी थी कि नियुक्ति के समय शैक्षणिक प्रमाण पत्र एवं जाति प्रमाण पत्र फर्जी प्रस्तुत किया गया है जबकि लोकायुक्त उत्तर प्रदेश,अनुसूचित जाति / जनजाति आयोग उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री कार्यालय शासन उत्तर प्रदेश, स्वास्थ्य निदेशालय उत्तर प्रदेश ,समेत अन्य अधिकारियों द्वारा कुल 9 से अधिक उच्च स्तरीय जांच हो चुकी है जिसमें शैक्षणिक प्रमाण पत्र एवं जाति प्रमाण पत्र सही पाया गया सोनभद्र के पूर्व जिलाधिकारी के नेतृत्व में समाज कल्याण अधिकारी, उप जिला अधिकारी, एवं अपर जिलाधिकारी की समिति ने सही होना पाया फिर भी लगातार उनकी इन्ही बिंदुओं पर शिकायतें की जा रही हैं । इस संबंध में एक याचिका माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका संख्या 35 110 सन2010 विचाराधीन है उत्तर प्रदेश शासन ने माननीय न्यायालय के अंतिम निर्णय तक उन्हें पद पर बने रहने का आदेश पारित किया है ।माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के वर्ष 2022 में ही भगवती प्रसाद की याचिका पर आदेश दिया है कि एक बार आरोप मुक्त हुआ सरकारी कर्मचारी का दोबारा विशेष कारण पर ही होगी जांच बावजूद इसके जन अधिकार पार्टी के भागीरथी मौर्य एवं कुछ अन्य लोगों द्वारा एक दलित कर्मचारी का उत्पीड़न करने के आशय से शिकायत किया जा रहा है।
शाक्य ने उक्त बातें साझा करते हुए बताया कि भागीरथी मौर्य मंडल अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी को विधिक नोटिस भेजी गई है जो कानून का उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाएगी।