कहां सोनभद्र जैसे आकांक्षी जनपदों के लिए सरकार के पास कोई कार्यक्रम नहीं!
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा कल पेश किए गए सरकार के 100 दिनों के रिपोर्ट कार्ड पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश संगठन महासचिव दिनकर कपूर ने कहा कि इसमें किसानों, युवाओं और आम जन के लिए कुछ भी नहीं है जो नोट करने लायक हो।

किसानों को मुफ्त बिजली, युवाओं को रोजगार, सिंचाई, एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन, स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ करने जैसे प्रमुख चुनावीं वादों पर रिपोर्ट कार्ड और भावी कार्यक्रम में एजेण्डा नहीं है। प्रदेश में बेरोजगारी की दरों में अप्रत्याशित कमी का दावा भी सच्चाई से परे है। श्री कपूर की माने तो उत्तर प्रदेश में भी अन्य राज्यों और राष्ट्रीय स्तर जैसे ही बेकारी की भयावह स्थिति है। उन्होंने कहा कि ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-3 में हुए 80 हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश समझौते की वाहवाही की जा रही है, लेकिन पिछले कार्यकाल में दो बार इंवेस्टर्स मीट में इससे भी कहीं ज्यादा निवेश के समझौतों का हश्र देखा जा चुका है। श्री कपूर आगे कहते हैं कि सोनभद्र जैसे आकांक्षी जनपद के लिए भी कार्यक्रम का अभाव रिपोर्ट कार्ड में दिखा। बहुप्रतीक्षित कनहर सिंचाई परियोजना में बजट के अभाव में काम ठप्प होने जैसे हालात के बावजूद मुख्यमंत्री द्वारा किसी तरह की घोषणा नहीं की गई। और तो और स्वास्थ्य महकमे के कायाकल्प की बातें की जा रही हैं लेकिन कोरोना जैसी महामारी के बावजूद दशकों पूर्व के स्वीकृत पदों में भी बड़े पैमाने पर मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ के पद रिक्त पड़े हुए हैं। सोनभद्र में तो हालात बेहद खराब हैं, यहां 8 सीएचसी में किसी में भी स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की तैनाती नहीं है, अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर की भी भारी कमी है।अल्ट्रासाउंड, एक्स रे आदि सुविधाएं नगण्य हैं। श्री कपूर कहते हैं कि शिक्षा क्षेत्र में भी हाल बुरा है, जनपद के बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में 40 फीसद तक पद रिक्त पड़े हुए हैं। सोनभद्र जैसे पिछड़े जनपदों में आजीविका का संकट बेहद गंभीर है। यहां के आईटीआई प्रशिक्षित और हुनरमंद युवाओं के लिए जनपद में स्टार्टअप अथवा स्वरोजगार के लिए किसी तरह की सरकारी योजनाएं संचालित नहीं हैं। प्रशिक्षित और हुनरमंद युवाओं समेत बेरोजगारों का यहां से आजीविका संकट की वजह से भारी पलायन हो रहा है। मनरेगा जैसी योजना का भी क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार ने तो मजदूरी की दरों को संशोधित कर दिया, लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मजदूरी की दरों को संशोधित नहीं किया, जिससे केंद्र और प्रदेश की मजदूरी की दरों में भारी अंतर हो गया। यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि मजदूरी के लिए 376 रू न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की है लेकिन उत्तर प्रदेश में मनरेगा में इससे कहीं कम महज 213 रु मजदूरी दर है जो कि बाजार दर से भी कम है। अंत में कहा कि दरअसल ईज आफ डूइंग बिजनेस के लिए जरूरी बता मजदूरों पर चौतरफा हमला हो रहा है।
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