दुष्कर्म के दोषियों को उम्रकैद
- प्रत्येक पर एक लाख 21 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद
- साढ़े 9 वर्ष पूर्व लड़की का अपहरण कर दुष्कर्म करने का मामला
- अर्थदंड की समूची धनराशि दो लाख 42 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी
सोनभद्र। साढ़े 9 वर्ष पूर्व लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो सोनभद्र की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषियों सीताराम व सरताज को उम्रकैद एवं प्रत्येक को एक लाख 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया। वहीं अर्थदंड की समूची धनराशि दो लाख 42 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक अनपरा थाना क्षेत्र के निवासी एक व्यक्ति ने थाने में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि वह 18 नवंबर 2012 को दोपहर 3 बजे अपनी साली के साथ अनपरा बाजार सामान खरीदने गया था। तभी वहां पर अनपरा थाना क्षेत्र के दुगोड़वा लोझरा निवासी सीताराम पुत्र रामसजीवन आ गया और साली के साथ जोर जबरजस्ती करने लगा। जब वह छुड़ाने लगा तो सीताराम अपने चार साथियों के साथ उसे मारने लगा। तथा साली को जबरजस्ती उठाकर बोलेरो में डाल दिया।यह धमकी दिया कि अगर पुलिस को सूचना दिया तो जान से मार देंगे तथा घर को आग लगाकर जला देंगे। सूचना दे रहा हूं, आवश्यक कार्रवाई करें। इस तहरीर पर 19 नवंबर 2012 को पुलिस ने अपहरण एवं दुष्कर्म में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर सीताराम व डीबुलगंज निवासी सरताज समेत 5 लोगों के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषियों सीताराम व सरताज को उम्रकैद एवं प्रत्येक पर एक लाख 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। तीन आरोपियों संतोष कुमार शुक्ल, अशोक यादव व अनिल श्रीवास्तव को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया। वही अर्थदंड की समूची धनराशि दो लाख 42 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह एडवोकेट ने बहस की।