बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
बिजली न होने पर मोबाईल का टार्च जलाकर होता है उपचार।
पिछले वर्ष पूर्व भाजपा नेता ने अस्पताल को लिया था गोंद।
बभनी। विकास खंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य उपचार न हो पाने के कारण बदहाली का दंश झेलना पड़ता है अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में चिकित्सक मौजूद नहीं हैं दो चिकित्सकों के सहारे ही अस्पताल संचालित हो रहा है 45 किलोमीटर के क्षेत्र में बने स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं और न ही पर्याप्त मात्रा में एंबुलेंस एक ही एंबुलेंस के सहारे पूरे मरीज आते हैं कितने मरीजों को उनके परिजन एंबुलेंस के अभाव में परेशान होकर बाईकों पर बैठाकर निजी चिकित्सालयों में ले जाने को विवश हो जाते हैं योग्य चिकित्सकों के होने के बावजूद संसाधन के अभाव में रेफर कर दिया जाता है कुछ जिला अस्पताल चले जाते हैं कुछ निजी चिकित्सालयों में उपचार कराकर कर्जदार बन जाते हैं कुछ साधन सुविधा के अभाव में दम तोड़ देते हैं बताते चलें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो महिला चिकित्सक और एक चिकित्सक की तैनाती है जिसमें एक चिकित्सक डॉ.बसंत को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सतबहनी भेंज
दिया गया डॉ. दिशा गुप्ता इस समय चाईल्ड केयर लीव अवकाश पर चल रही हैं डॉ.हेमलता जो ओपीडी भी देखती हैं और इमर्जेंसी में भी इनकी ड्यूटी होती है अस्पताल में न पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध हैं और न ही संसाधन जिसके कारण अधिकतर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। जबकि पिछले वर्ष अस्पताल को अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य दीपक सिंह गोंड़ ने गोंद लिया था और उसी समय अस्पताल की रंगाई-पुताई की गई थी इसके बाद अस्पताल में किसी भी तरह के संसाधनों की व्यवस्था नहीं कराई गई लाखों के लागत से लगे सौलर पैनल खराब पड़े हैं मौसम खराब हो जाने के कारण हफ्तों बिजली प्रभावित हो जाती है जिसके कारण भर्ती हुए मरीजों के परिजनों को अंधेरे में ही रहना पड़ता है तीन दिन पूर्व एक ईसर्जेंसी केश जाने पर अस्पताल में अंधेरा पसरा था लोगों के हल्लाबोल करने पर इनवर्टर चालू किया गया परिजन लाले अरबिंद अंकित शिवम अमर कृष्णकांत ने बताया कि पूछे जाने पर एक स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि इनवर्टर भी डिस्चार्ज होने वाला है सोलर पैनल खराब पड़ा है और जनरेटर में तेल नहीं है अधीक्षक के बदल जाने के कारण जनरेटर के लिए तेल भी नहीं मिल पाता अंधेरा होने के कारण चिकित्सक को मोबाइल का टार्च जलाकर डिलेवरी कराई जा रही थी। जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की लचर व्यवस्था इस प्रकार है तब एक भाजपा नेता के द्वारा अस्पताल को गोंद लेना इससे बड़ी शर्मनाक दशा क्या हो सकती है।
केवल कागजों तक ही सीमित होती है स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती।
बभनी। जनपद का अंतिम विकास खंड जहां आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है यहां लोगों की तैनाती कागजों तक ही सिमटकर ही रह जाती है 150 किलोमीटर दूर होने के कारण लोग यहां आना नहीं चाहते हैं और दूसरे विकास खंडों के स्वास्थ्य केंद्रों पर ड्यूटी करते हैं और वहीं से अपना ट्रांसफर भी करा लेते हैं लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि इनकी उपस्थिति कहां दर्ज होती है और वेतन कहां से लगता हैअभी भी वर्तमान समय में यहां एक भी वार्ड ब्वाय मौजूद नहीं हैं और एक
संविदा स्टाफ नर्स है जिसकी भी अनियमितता होती है जिले में सबसे ज्यादा डिलेवरी केस बभनी म्योरपुर में आते हैं जो एएनएम के सहारे कराई जाती है अस्पताल गोंद लेने के बाद भाजपा नेता दीपक सिंह गोंड़ कभी एक भी स्टाफ नहीं उपलब्ध नहीं करा सके। जब इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ.एस के वर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस की व्यवस्था आवश्यकतानुसार कर ली गई है और स्टाफों की भी व्यवस्था की जा रही है। धीरे-धीरे जल्द ही स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार आयेगा।