वनवासियों के समग्र विकास के प्रति सजग सेवा कुंज
आश्रम ।
विशेष संवाददाता द्वारा
सोनभद्र । ‘धन्य हे युगपुरुष केशव, धन्य तेरी साधना । कोटि कंठो में समाहित, इराष्ट्र की आराधना।’
राष्ट्र वंदना की ये पंक्तियां बरबस ही बभनी खण्ड के चपकी स्थित ‘सेवा कुंज आश्रम’ के प्रवास के दौरान अंतरात्मा से स्वतः निकल पड़ती हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह बृजेश सिंह का मानना है कि भाऊराव देवरस जी के प्रेरणा से वनवासियों के समग्र विकास के लिए सेवा समर्पण संस्थान की ओर से शिक्षा चिकित्सा व सेवा के विकल्प संचालित हुए । सेवा कुंज आश्रम का जो वर्तमान स्वरूप है

उसे बनाने में सेवा समर्पण संस्थान के संगठन मंत्री आनंद जी का महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन इसके पूर्व कई लोगों की तपस्या भी इसमें समाहित है । पहले डाला के पास खन्ना कैप से इसकी शरुआत हुई थी। वनवासी बच्चों को शिक्षा, चिकित्सा और संस्कार प्रदान करने के लिए तमाम प्रयास अच्छे से किये गए । इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कृष्ण गोपाल जी की प्रेरणा, जिला प्रचारक अरविंद जी की ततपरता , हरिश्चंद्र त्रिपाठी हरीश जी समेत अन्य प्रचारकों का अमूल्य समय प्रदान करने से सेवाकुंज आश्रम के विराट स्वरूप को प्रदान करने में आनंद जी की सूझ बूझ कर्तव्यपरायणता निष्ठा व लगन काम आई । इसी का परिणाम है कि आज वनवासी बच्चे शिक्षा , संस्कार पाकर हर क्षेत्र में परचम लहरा रहे हैं । छात्रावास की छात्राएं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के स्वागत के लिए 19 मई को मंच पर गई और उन्हें स्थानीय सौगात भी भेंट की । सेवा कुंज आश्रम स्थित देशज सांस्कृतिक विरासत के सहेजे बने अतिथि गृह पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के साथ उपस्थित रहने वाली जनजाति की छात्राएं सविता , मानकुंवरि , सुमित्रा , आशा व शीला, बबिता के नेतृत्व में आवभगत में कोई कोताही नही होने दी । आनंदी जी के साथ आश्रम के सदस्य आलोक चतुर्वेदी , कमलेश चौबे , सूर्यकांत जालान अध्यक्ष सुरभि संस्थान , हरीश जी आदि राज्यपाल के प्रवास के समय सक्रियता के साथ उपस्थित रहे । यहां के वनवासी बच्चे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थानीय शाखा के स्वयंसेवक भी है । यही वजह है कि उनमें अनुशासन , राष्ट्र के प्रति समर्पण , प्रखर राष्ट्रवाद के भाव कूट कूट कर भरे नजर आए । जनपद का बभनी ब्लॉक सेवाकुंज आश्रम के नाम पर राष्ट्रीय फलक पर आ गया है। राष्ट्रपति , राज्यपाल व मुख्यमंत्री के प्रवास के कारण इस संस्कार केंद्र का महत्व सभी के निगाह में न केवल बढ़ गया है बल्कि यह आस्था का स्थल आकर्षण के केंद्र में भी बन चुका है । नर सेवा नारायण सेवा का अनुपम उदाहरण यहां जमीन पर नजर आता है । प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर आधुनिक सुख सुविधाएं वनवासियों के कल्याणार्थ विकसित की गई है । सामाजिक सरोकारों से जुड़ा आश्रम अनुसूचित जनजाति समाज के लिए प्रेरक का काम कर रहा है ।
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