उमश से भभक रहा कक्षा- कक्ष
भोलानाथ मिश्र
सोनभद्र । मई माह में सोनांचल का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आस पास है । बिजली कटौती के बीच स्कूलों के भवन आग की भट्ठी की तरह भभक रहे हैं । ऐसे में 12 बजे तक बच्चों को पढ़ाने में शिक्षक पसीने -पसीने हो जा रहे हैं । स्कूलों में पंखे तो लगे है , लेकिन बिजली कहा रहती है ।
डेढ़ बजे तक अध्यापक तपते रहते हैं । सरकारी फरमान है कि छात्रों की छुट्टी के बाद अध्यापक डेढ़ घण्टे तक स्कूल में बने रहेंगे , साहब जांच के लिये जाएंगे । 80 प्रतिशत छात्र नहीं मिले तो नपेंगे शिक्षक और एबीएसए भी । शादी विवाह का एक तो मौसम दूसरे तबाही मचा रही गर्मी के कारण विद्यार्थियों की उपस्थिति 80 प्रतिशत करने में शिक्षक हाँफ जा रहे हैं ।
कहवा गइल लड़िकइया हो !
बच्चों को ग्रीष्मावकाश के
पूर्व गृह कार्य देना है । सीबीएसई की नकल करते -करते अकल खराब हो गई है ।लखनऊ- दिल्ली के बहु मंजिले भवनों व बिजली आपूर्ति तथा बच्चों के आवागमन की सुविधाओं की
तुलना करने की जरूरत नही समझती ।
किसी ने कहा है —
ये दौलत भी ले लो ,
ये सोहरत भी ले लो ,
भले छीन लो चाहे मेरी जवानी।
मगर मुझको लौटा दो ,
वो बचपन का सावन ,
वो कागज की कश्ती ,
वो बारिस का पानी । वह भी क्या वक़्त था जब
बच्चे नानी के घर ननिहाल
जाते थे । नानी गीता ,
महाभारत और रामायण की कहानियां सुनाया करती थी । दादा -दादी बुझौअलि ,
संस्कार गीत , नाते रिश्तेदार , गोती दयाद गांव घर के सयनवा लोगों के बारे में बताते थे । बच्चों की अनौपचारिक शिक्षा एक मजबूत परिवार व सामाजिक
शिक्षा की नींव भरती थी । गांव गिरांव के चौपालों , तालाब पोखरों , आम के बगीचों , रात में आंगन में खुले आसमान के नीचे
चारपाई पर सोकर सप्तर्षि मण्डल से मुक्त आकाश चमकते तारों की कथा दादी नानी से सुनते थे । शिक्षक खुले मन से कम समय में अपने शिष्यों को सब कुछ उड़ेल देता था । कहा पाएं ईमेल आईडी ..............................
ग्रामीण क्षेत्र के माध्यमिक विद्यालयों के प्रिंसिपल इस समय फजीहत झेल रहे हैं । जिला विद्यालय निरीक्षक का फरमान है कि सभी शिक्षकों तथा कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों का ईमेल आईडी बनाकर भेजिये । समस्या यह है कि गांव के बच्चों के
पास स्मार्टफोन हो तब तो ईमेल आईडी बने । वित्तविहीन की कुछ शिक्षकों के पास भी स्मार्टफोन अभी तक नही है । ऐसे में प्रिंसिपल परेशान हैं । एक प्रधानाचार्य ने कहा कि —
‘आन क लड़िका , मैं लडिकोरी , देख नाथ फजीहत मोरी ‘।