काली शक्तिपीठ मंदिर की महिमा अपार

विढमगंज-सोनभद्र(ओमप्रकाश रावत)- सततवाहिनी नदी के किनारे स्थापित काली शक्तिपीठ मंदिर न सिर्फ सोनभद्र बल्की आसपास झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार क्षेत्रों के लिए भी श्रद्धा भक्ति व विश्वास का प्रतीक है चैत नवरात्रि पर दूर दराज से लोग यहां आते हैं और माता के चरणों में माथा टेक कर सुख व शांति की कामना करते हैं माता की शक्ति इतनी है कि यहां सालों साल भक्तों का तांता लगा रहता है।

इतिहास

मंदिर के इतिहास के बारे में लोग बताते हैं कि 1860 के आसपास आदिवासियों ने इस मंदिर की स्थापना की थी उस समय यहां पर बलि प्रथा प्रचलित थी। आदिवासी लोग मां काली को प्रसन्न करने के लिए बकरा,मुर्गा,पाठी की बलि देते थे लेकिन 1903 मे लोगों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया जब इस मंदिर के पुजारी पंडित राम प्रसाद तिवारी बने तब उन्होंने बलि की प्रथा पर रोक लगाते हुए माता को नारियल, चुनरी, प्रसाद से प्रसन्न करने की प्रचलन शुरू की इस दौरान इस मंदिर का निर्माण भी हुआ लेकिन 1980 तक यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया इसके बाद 1984 में 10, 10 पैसा का चंदा प्रत्येक दिन विण्ढमगंज के लोगों ने दिया जिससे इस मंदिर का निर्माण कराया गया।

विशेषता

लोगों की मान्यता है कि मां की प्रतिमा अद्वितीय है ऐसी प्रतिमा आसपास के क्षेत्रों में नहीं है करीब डेढ़ सौ साल पहले स्थापित इस मंदिर की प्रतिष्ठा दूर-दूर तक है लोगों की मान्यता है कि जो सच्चे मन से मनौती मांगता है उसकी मुराद अवश्य पूरी होती है। प्रत्येक वर्ष नवरात्र में 9 दिन शांम के समय महाआरती का आयोजन किया जाता है जिसमें लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है ऐसी मान्यता है कि आरती के समय जो भी लोग सच्चे मन से मां की कामना करते हैं उनका काम अवश्य पूरा होता है।

वास्तु कला

मां काली की प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है मां की प्रतिमा काला ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है इस प्रतिमा को किसने और कब बनाया इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। ऐसी मान्यता है कि 1807 के आसपास यह प्रतिमा जमीन से निकली थी जिसकी आदिवासी लोग पूजा करते थे 200 साल से अधिक समय होने के बाद भी मां का प्रतिमा दिन-प्रतिदिन चमकता जा रहा है।

मनोज तिवारी पुजारी काली मंदिर

: मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है जब यह इलाका जंगल था तब भी यहां मंदिर व मंदिर से सट्टा पोखरा आज भी मौजूद हैं मां काली की अद्वितीय प्रतिमा है और शक्तिपीठ भी है जहां हर मनोकामना पूरी होती है। यदि आप सच्चे मन से एक बार भी इस मंदिर में आकर मां की आराधना किया तो आपका काम अवश्य पूरा हो जाएगा।

रौशन गुप्ता भक्त

विण्ढमगंज के काली शक्तिपीठ मंदिर की महिमा अपार है नवरात्रि में 9 दिन का विशेष अनुष्ठान किया जाता है इन दिनों शाम को होने वाली विशेष आरती मे अपार जनसमूह उमड़ता है। ऐसी मान्यता है आरती के समय मांगी गई हर मुराद माता रानी पूरा करती है।

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