प्रस्तुत है लब्ध प्रतिष्ठित वैज्ञानिक प्रो पंजाब सिंह से बातचीत के कुछ अंश
सर्वेश श्रीवास्तव
सोनभद्र। प्रोफेसर पंजाब सिंह यूपी के लिए ही नही बल्कि भारत के लिए भी एक जाना पहचाना नाम है ।
70 साल की उम्र में भी उनकी जागरूकता,सजगता और कर्तव्य परायणता आज के युवाओं के लिए प्रेरक हैं ।
सोनभद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में इस संवाददाता से हुई मुलाकात में ना सिर्फ उन्हें जानने, समझने और सुनने -गुनने का एक अच्छा अवसर मिला बल्कि आधुनिक वैज्ञानिक कृषि के बारे में भी उनके अनुभव साझा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आइए उनके कृतित्व – व्यक्तित्व के बारे में कुछ जानकारियां साझा करते हैं। मीरजापुर जनपद के अनन्तपुर गाँव के मूल निवासी प्रो पंजाब सिंह जी वैश्विक पटल पर अपने योगदान से चमकते हुए लब्ध प्रतिष्ठ कृषि वैज्ञानिक हैं| भारत सरकार की सर्वोच्च संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में अध्ययन,अनुसंधान को शीर्ष पर ले जाने मे आपका महनीय योगदान रहा है|आप परिषद मे महानिदेशक के शीर्षस्थ पद के पश्चात एशिया के श्रेष्ठतम विद्यामंदिर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए अपनी प्रखर प्रज्ञा से राजीव गांधी दक्षिणी परिसर, बरकछा, मीरजापुर के वर्तमान स्वरूप में प्रतिष्ठापित करवाने में अतुलनीय भूमिका निभाई | देश के 334 विस्तरों वाले सबसे बड़े ट्रामा सेन्टर को बीएचयू में आपके सतत प्रयास से स्थापित किया गया जिससे गरीब व पीड़ित रूग्ण जनसमुदाय की प्राण रक्षा हो रही है | जीवन के आठवें दशक मे जीवन्तता की अद्भुत छवि बनाए हुए प्रो पंजाब सिंह जी सम्प्रति महारानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के कुलाधिपति के रूप में शोभा बढ़ा रहे हैं | अपने मिट्टी से लगाव को गतिशील बनाए हुए उन्होंने फार्म फाउन्डेशन का सृजन कर आकांक्षी जिले सोनभद्र व चन्दौली तथा गैर आकांक्षी जिले वाराणसी व गाजीपुर के किसानों को उनके कृषि संवर्धन का दायित्व अपनी देखरेख में करने को लिया है| पूर्वांचल के उक्त चारों जिलो के कृषि उत्पादक संघों को अपने फार्म फाउन्डेशन से जोड़कर किसानो को समग्र कृषि से अधिकाधिक लाभ दिलाने हेतु आपने भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ डीबीटी- किसान परियोजना का लाभ दिलवाया है | आपके स्तुत्य प्रयास व दिशानिर्देशों के अनुरूप सभी एफपीओ जुड़कर देश की प्रगति व आर्थिक समृद्धि से उपकृत हो रहे हैं |